मप्र : विधानसभा में आए जवाब भाजपा के लिए बने मुसीबत

मप्र : विधानसभा में आए जवाब भाजपा के लिए बने मुसीबत

IANS News
Update: 2020-09-30 14:00 GMT
मप्र : विधानसभा में आए जवाब भाजपा के लिए बने मुसीबत
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भोपाल, 30 सितंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश विधानसभा में किसान कर्जमाफी और अतिथि विद्वानों को लेकर दिया गया जवाब अब भाजपा के लिए मुसीबत बन रहे हैं। कांग्रेस इन्हीं दोनों मसलों को चुनावी मुद्दा बनाए हुई है तो दूसरी ओर भाजपा को रक्षात्मक रुख अपनाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

राज्य में आगामी समय में विधानसभा के 28 क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं। इन उपचुनावों में कांग्रेस कर्जमाफी और अतिथि विद्वानों के मसले को बड़ा मुद्दा बनाए हुए हैं। कग्रेस के दावों को भाजपा लगातार झूठ बताती रही मगर विधानसभा में दिए गए जवाब कुछ और ही कहानी कह गए हैं।

विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की ओर से पूछे गए सवाल के जवाबों में सरकार ने माना था कि लगभग 27 लाख किसानों के कर्जमाफी की स्वीकृति दी गई है, तो दूसरी ओर अतिथि विद्वानों को लाभ देने की प्रक्रिया चल रही थी। इन्हीं दोनों मामलों को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला है और कहा है कि अब तो सरकार भी यह बात मान रही है कि किसानों की कर्जमाफी हुई है और सरकार ने अतिथि विद्वानों के हित में फैसले लिए जिस पर प्रक्रिया अब भी जारी है।

सरकार की ओर से दिए गए जवाबों पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि कर्जमाफी के बाद जीतू पटवारी के प्रश्न से एक और राज खुला। यदि भाजपा कांग्रेस की सरकार नहीं गिराती तो कर्जमाफी के साथ अतिथि विद्वान शिक्षकों की समस्या का निदान भी हो जाता।

वहीं भाजपा लगातार यही कहती आ रही है कि किसानों का कर्जमाफी नहीं हुई है, सिर्फ प्रमाणपत्र ही दिए गए हैं। सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह कह चुके हैं कि कर्जमाफी को लेकर अधिकारियों ने विधानसभा में गलत जानकारी दी थी।

राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि विधानसभा में जानकारी कई स्तरों से गुजरते हुए जाती है, यह अधिकारियों के अलावा मंत्री तक पहले भेजी जाती है, मंत्री के हस्ताक्षर होने के बाद ही ब्यौरा सदन में पहुंचता है। इसलिए भाजपा को जनता के बीच यह साबित कर पाना कि विधानसभा में पेश की गई जानकारी झूठी है, आसान नहीं होगा। अगर वास्तव में अधिकारियों ने जानकारी गलत दी है तो यह बड़ा मामला है और सरकार को ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करनी होगी, तभी यह साबित हो पाएगा कि अधिकारियों ने गलत जानकारी दी थी। कुल मिलाकर ये दोनों मामले चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकते हैं।

एसएनपी/एसजीके

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