मुस्लिम लॉ बोर्ड ने 'ट्रिपल तलाक' बिल किया नामंजूर, कहा- कई परिवार होंगे बर्बाद

मुस्लिम लॉ बोर्ड ने 'ट्रिपल तलाक' बिल किया नामंजूर, कहा- कई परिवार होंगे बर्बाद

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-24 03:02 GMT
मुस्लिम लॉ बोर्ड ने 'ट्रिपल तलाक' बिल किया नामंजूर, कहा- कई परिवार होंगे बर्बाद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक बिल को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इमरजेंसी मीटिंग में नामंजूर कर दिया गया है। रविवार को लखनऊ में बोर्ड ने ट्रिपल तलाक को लेकर फुल बॉडी मीटिंग बुलाई थी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल के विरोध में है और आज हुई बोर्ड की इमरजेंसी मीटिंग में इस बिल को नामंजूर कर दिया गया है। रविवार को लखनऊ के नदवा कॉलेज में बुलाई गई बैठक में वर्किंग कमेटी के 51 सदस्य शरीक हुए।

दरअसल हिन्दुस्तान में तीन तलाक को खत्म करना केंद्र की मोदी सरकार के मुख्य एजेंडे में से एक है। इससे संबंधित बिल को लोकसभा में 26 दिसंबर को पटल पर रखा जा सकता है। अगर सर्वसम्मति से ये विधेयक लोकसभा में पास हो गया तो फिर तीन तलाक देना गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आ जाएगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की जेल भी हो सकती है।

महिला विरोधी है ये बिल
इमरजेंसी मीटिंग के बाद मुस्लिम संगठन ने कहा कि केंद्र को बिल बनाने से पहले बात करके हमारी राय लेनी चाहिए थी। मीटिंग में कहा है कि यह शरीयत के खिलाफ है। हर स्तर पर केंद्र सरकार के इस प्रस्तावित बिल का विरोध होगा। बोर्ड ने इस बिल में तीन साल की सजा के मसौदे को क्रिमिनल ऐक्ट बताते हुए कहा कि यह महिला विरोधी बिल है। बोर्ड ने कहा कि यह बिल महिला आजादी में दखल की तरह है।

पहले मुस्लिम संगठनों से बात करे सरकार
मौलाना नोमानी ने कहा कि जिस तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताया था, उसे केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया में उलझा दिया है। सवाल यह है कि जब तीन तलाक होगा ही नहीं तो सजा किसे दी जाएगी। मौलाना नोमानी ने कहा कि बोर्ड की केंद्र सरकार से गुजारिश है कि वह अभी इस विधेयक को संसद में पेश न करे। अगर सरकार को यह बहुत जरूरी लगता है तो वह उससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा मुस्लिम महिला संगठनों से बात कर ले।

बिना मुस्लिम संगठन की राय के बना बिल
इस बिल को लेकर सरकार की ओर से केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान सामने आया था। रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को अपने एक बयान में कहा था कि ट्रिपल तलाक बिल को तैयार करने के लिए मुस्लिम संगठनों से विचार-विमर्श नहीं किया गया। दरअसल संसद में इसे लेकर प्रश्न पूछा गया था जिसके लिखित जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि "सरकार का मानना है कि यह मुद्दा लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा की मानवीय अवधारणा से जुड़ा हुआ है और इसका आस्था और धर्म से कोई संबंध नहीं है।" इसीलिए मुस्लिम संगठनों से राय नहीं ली गई। वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बैठक के जरिए सीधा संदेश सरकार तक पहुंचान चाहता है कि वो ऐसे किसी भी तीन तलाक के बिल का विरोध करेगा, जिसमे उसकी सहमति नहीं ली गई है।

बिल की प्रमुख बातें
- गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा ट्रिपल तलाक
- बिल में है तीन साल तक की जेल का प्रावधान
- जम्मू कश्मीर में ये कानून लागू नहीं होगा
- ट्रिपल तलाक की पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार
- मजिस्ट्रेट तय करेंगे गुजारा भत्ता

कैबिनेट से मिली थी हरी झंडी
इससे पहले शुक्रवार को आयोजित हुई केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में तीन तलाक से जुड़े बिल को हरी झंडी दिखा दी गई थी। मोदी सरकार "द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट" नाम से इस बिल को लेकर आ रही है। कानून बनने के बाद यह सिर्फ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। बिल में कहा गया है कि अगर कोई पति तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर डिवोर्स लेता है तो फिर इसे गैर जमानती अपराध माना जाएगा और आरोपी को तीन साल की जेल की सजा होगी। इसमे जुर्माने का प्रावधान भी है। मजिस्ट्रेट इस बात को तय करेंगे कि आरोपी पर कितना जुर्माना लगाना है।

गठित हुआ था मंत्री समूह
पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले दिनों कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून लाने वाले है।

सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया था। तलाक-ए-बिद्दत मुस्लिम समाज में लंबे समय से चली आ रही एक प्रथा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर रिश्ता खत्म कर सकता है। इसको सायरा बानो नामक महिला ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को फैसला सुनाया था।

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