Kisan Andolan: टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे करीब 50 फीसदी किसानों को सर्दी, खांसी, जुकाम और कान दर्द की समस्या

Kisan Andolan: टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे करीब 50 फीसदी किसानों को सर्दी, खांसी, जुकाम और कान दर्द की समस्या

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-08 21:56 GMT
Kisan Andolan: टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे करीब 50 फीसदी किसानों को सर्दी, खांसी, जुकाम और कान दर्द की समस्या
हाईलाइट
  • आयुर्वेदिक दवाओं से किसानों का हो रहा इलाज
  • प्रदर्शन कर रहे किसानों में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या
  • बीमार बहुत
  • लेकिन सबको नहीं मिल पा रहा इलाज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार 13 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों से दिल्ली चौतरफा घिर चुकी है। हरियाणा से लगते दिल्ली के 4 बॉर्डर- टिकरी, सिंघु, झारोदा और धनसा पूरी तरह बंद हैं। 2 बॉर्डर सिर्फ हल्के वाहनों के लिए खुले हैं। वहीं सर्द मौसम में टिकरी बॉर्डर पर किसानों को तेजी से नजला, खांसी और जुकाम पकड़ रहा है। बड़ी संख्या में लोगों को कान दर्द की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। 

मौके पर मेडिकल सुविधा मुहैया करा रहे चिकित्सकों का कहना है कि किसान आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक यहां करीब 50 फीसदी लोग इन बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या बुजुर्गों की है। वह रोजाना सैकड़ों मरीजों का इलाज कर उन्हें आयुर्वेदिक दवाइयां दे रहे हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से लोगों को फौरी तौर पर राहत भी मिल रही है। 

प्रदर्शन कर रहे किसानों में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या
द्वारका में आयुर्वेदिक के डॉक्टर इंद्रजीत सिंह ने बताया कि वे टीकरी बॉर्डर पर 27 नवम्बर से ही नि:शुल्क फर्स्ट ऐड सेंटर चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसानों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके पीछे का कारण पानी, दूषित हवा और सर्दी के मौसम में लग रही ठंड है। इस कारण लोगों को नजला, खांसी, जुकाम की समस्या तेजी से हो रही है। वहीं शोर शराबे और नींद पूरी नहीं होने की वजह से बुजुर्गों को कान दर्द की समस्या हो रही है। 

बीमार बहुत, लेकिन सबको नहीं मिल पा रहा इलाज
मरीजों को वालेंटियर सर्विस दे रहीं मनवीन कौर ने बताया कि इलाज के लिए करीब 2 किलोमीटर चलकर किसान दवाइयां लेने आ रहे हैं, लेकिन पीछे गाड़ियों की कतार बहुत दूर तक है। दूर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां जितने मरीज पहुंच रहे हैं, उनको दवा दी जा रही है।

आयुर्वेदिक दवाओं से किसानों का हो रहा इलाज
डॉक्टर इंद्रजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने नजला खांसी जुकाम के इलाज के लिए मुलेठी, अदरक, शहद, दालचीनी, बड़ी इलायची, सौंफ, फुदीने का चूर्ण व अर्क तैयार किया है। जो लोगों के लिए खासा कारगर साबित हो रहा है। साथ-साथ मरीजों को पतंजलि और दूसरी कंपनियों की आयुर्वेदिक दवाइयां भी दे रहे हैं। जो लोगों को राहत पहुंच रही है इसलिए अन्य मरीज भी दवा लेने पहुंच रहे हैं।
 

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