लोकतंत्र में नई उम्मीद, शोरगुल और हंगामे की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से चलेंगे सदन

क्या 2022 में बदलेगा संसद का माहौल? लोकतंत्र में नई उम्मीद, शोरगुल और हंगामे की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से चलेंगे सदन

IANS News
Update: 2021-12-28 08:01 GMT
लोकतंत्र में नई उम्मीद, शोरगुल और हंगामे की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से चलेंगे सदन
हाईलाइट
  • चर्चा और संवाद का केंद्र बने सदन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई उम्मीदों और अपेक्षाओं के साथ नया वर्ष 2022 आने वाला है। संसदीय शासन व्यवस्था पर आधारित लोकतंत्र में 2022 को लेकर सबसे अहम सवालों में से एक सवाल यह भी है कि क्या 2022 में संसद चल पाएगी ? क्या 2022 में संसद के दोनों सदनों में शोरगुल और हंगामे की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से काम हो पाएगा ? क्या नए साल के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में जारी कटुता खत्म हो पाएगी और क्या सभी दल मिलकर 2022 में सदन के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए सहमत हो पाएंगे ? देश के वर्तमान राजनीतिक माहौल और 2022 में होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए फिलहाल इन सभी सवालों का सकारात्मक जवाब मिलता दिखाई नहीं दे रहा है।
2022 में संसद के सत्रों की बात करें तो सबसे पहला सत्र - बजट सत्र आएगा। सामान्य तौर पर पिछले कई वर्षों से बजट सत्र की शुरूआत जनवरी के आखिरी सप्ताह में होती है। इसमें राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है और 1 फरवरी को देश का बजट पेश किया जाता है। सामान्य तौर पर यह सत्र दो चरणों में मई तक चलता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण और वित्त मंत्री द्वारा पेश बजट पर चर्चा और फिर इसे पारित करवाने को लेकर सजग सरकार सभी दलों के सहयोग से सदन को चलाने की पुरजोर कोशिश करती है , हालांकि अतीत में कई बार इस तरह की कोशिशें नाकाम हो चुकी है और हंगामें के बीच ही इन दोनों को कई बार सदन से पारित करवाया गया है।

जिस समय दिल्ली में संसद का बजट सत्र चल रहा होगा , ठीक उसी समय उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव प्रचार अपने चरम पर होगा। राजनीतिक दल के तमाम दिग्गज नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे होंगे । ऐसे में बाहर की चुनावी गर्मी का असर संसद के अंदर भी पड़ना तय माना जा रहा है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 2022 में संसद के पहले सत्र ( बजट सत्र ) के पहले चरण में अगर राजनीतिक दलों में सहमति नहीं बनी तो हंगामा होना तय है। हालांकि चुनावी नतीजे अगर सतारूढ़ पार्टी भाजपा के पक्ष में रहे तो बजट सत्र का दूसरा चरण थोड़ी शांति से चल सकता है।

वर्ष में आयोजित संसद के दूसरे सत्र को मानसून सत्र कहा जाता है जो आमतौर पर जुलाई -अगस्त में आयोजित होता है। जुलाई 2022 में होने वाले राष्ट्रपति और अगस्त 2022 में होने वाले उप-राष्ट्रपति चुनाव की छाया भी संसद के मानसूत्र सत्र पर साफ-साफ नजर आएगी। पांच राज्यों में नई सरकार के गठन के कुछ महीनों बाद होने वाले इस सत्र पर भी चुनावी नतीजों की छाया नजर आएगी। नतीजे भाजपा के पक्ष में आए तो विपक्ष थोड़ा कमजोर नजर आएगा और अगर नतीजे भाजपा के खिलाफ गए तो विपक्ष ज्यादा आक्रामक तरीके से सदन में सरकार को घेरता नजर आएगा।

नवंबर , 2022 तक नए संसद भवन का भी निर्माण पूरा होने की संभावना है और इसलिए 2022 में संसद का आखिरी सत्र यानि शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में होगा। लेकिन उस समय गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधान सभा चुनाव की गर्मी अपने चरम पर होगी और इसका असर संसद के दोनों सदनों में भी दिखाई देगा। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है जो हाल ही में हुए संसद सत्र में भी साफ-साफ देखने को मिली कि सरकार और विरोधी दलों के बीच संवादहीनता और विश्वास की कमी की समस्या बनी हुई है। इसलिए कई बार सदन के कामकाज को लेकर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में सहमति बनने के बावजूद सदन के पटल पर हंगामा देखने को मिला।

2022 में भी सदन को सही तरीके से चलाना कितनी बड़ी चुनौती है इसका अंदाजा हाल ही में स्थगित हुए संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन 22 दिसंबर को लोक सभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा दिए गए बयान से लगया जा सकता है। उन्होने कहा था कि सदन चर्चा और संवाद का केंद्र बने, इसके लिए समय-समय पर वो सभी दलों के साथ संवाद करते हैं, बातचीत करते रहते हैं। कई बार समाधान निकलता है और कई बार नहीं निकल पाता है। साथ ही उन्होने यह भी कहा था कि वो लगातार सदन को बिना व्यवधान के चलाने का प्रयास करते रहेंगे और उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम निकलेंगे।

 

(आईएएनएस)

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