रक्षा मंत्री बोलीं- राफेल डील से UPA के कार्यकाल में ही बाहर हो गई थी HAL

रक्षा मंत्री बोलीं- राफेल डील से UPA के कार्यकाल में ही बाहर हो गई थी HAL

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-18 12:10 GMT
रक्षा मंत्री बोलीं- राफेल डील से UPA के कार्यकाल में ही बाहर हो गई थी HAL
हाईलाइट
  • पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के लगाए आरोपों पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया है।
  • राफेल डील को लेकर चल रहा विवाद थमता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
  • सीतारमण ने कहा कि UPA के कार्यकाल में ही HAL राफेल डील से बाहर हो गई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर चल रहा विवाद थमता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के लगाए आरोपों पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया है। सीतारमण ने कहा, UPA के कार्यकाल में राफेल डील नहीं हुई। UPA के समय में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और डसॉल्ट प्रोडक्सन टर्म्स पर राजी नहीं थे। इसीलिए HAL और राफेल एक साथ नहीं जा सकते थे। सीतारमण ने कांग्रेस से सवाल पूछा कि क्या इससे साफ नहीं होता है कि किसकी सरकार में ऐसा हुआ?

क्या कहा था एके एंटनी ने?
इससे पहले एंटनी ने सीतारमण के उस बयान पर निशाना साधा था जिसमें उन्होंने कहा था कि HAL के पास जेट के उत्पादन के लिए जरुरत के मुताबिक क्षमता नहीं है। एंटनी ने कहा, सीतारमण ने HAL की छवि खराब कर दी है, जो एक मात्र ऐसी कंपनी है जो भारत में लड़ाकू विमान का निर्माण कर सकती है। हम नहीं जानते कि उनके इरादे क्या थे। उन्होंने कहा कि साल 2000 में देश में 126 विमानों की जरुरत थी। 2007 में यूपीए ने मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) के लिए टेंडर निकाला था, जिसके बाद दसॉल्ट का नाम 2012 में तय किया गया। एंटनी ने कहा, यूपीए की डील में 18 विमान विदेश में तैयार होकर भारत आने थे और बचे हुए 108 विमान देश की एयरोस्पेस डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाती। एंटनी ने दावा किया कि यूपीए की डील में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत HAL को तकनीक मिलती और देश में रोजगार पैदा होते लेकिन मोदी सरकार ने इस डील को ही बदल दिया। अब ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी नहीं मिलने से देश का नुकसान हुआ है।

क्या कहा था रक्षा मंत्री ने?
यहां हम आपको ये भी बता दें कि राफेल डील पर कांग्रेस बार-बार ये आरोप लगा रही है कि HAL की जगह अनिल अंबानी की फर्म को मौका क्यों दिया गया। जिसके जवाब में रक्षा मंत्री निर्मला ने बताया था कि 126 राफेल डील पर यूपीए सरकार के दौरान अंतिम नतीजे पर इसलिए नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि एचएएल के पास उन्हें बनाने के लिए पर्याप्त क्षमता का अभाव था।

क्या है राफेल डील? 
भारत ने 2010 में फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट खरीदने की डील की थी। उस वक्त यूपीए की सरकार थी और 126 फाइटर जेट पर सहमित बनी थी। इस डील पर 2012 से लेकर 2015 तक सिर्फ बातचीत ही चलती रही। इस डील में 126 राफेल जेट खरीदने की बात चल रही थी और ये तय हुआ था कि 18 प्लेन भारत खरीदेगा, जबकि 108 जेट बेंगलुरु के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में असेंबल होंगे यानी इसे भारत में ही बनाया जाएगा। फिर अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में ये घोषणा की कि हम 126 राफेल फाइटर जेट को खरीदने की डील कैंसिल कर रहे हैं और इसके बदले 36 प्लेन सीधे फ्रांस से ही खरीद रहे हैं और एक भी राफेल भारत में नहीं बनाया जाएगा।

Similar News