तमिलनाडु : प्लास्टिक बैन हुआ तो पपीते से लेकर बांस के तनों से बन रहे हैं स्ट्रॉ

तमिलनाडु : प्लास्टिक बैन हुआ तो पपीते से लेकर बांस के तनों से बन रहे हैं स्ट्रॉ

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-19 12:29 GMT
तमिलनाडु : प्लास्टिक बैन हुआ तो पपीते से लेकर बांस के तनों से बन रहे हैं स्ट्रॉ
हाईलाइट
  • तमिलनाडु में प्लास्टिक बैन हुआ तो नारियल पानी विक्रेताओं ने प्लास्टिक स्ट्रॉ के खोजे जबरदस्त विकल्प
  • तेनकासी शहर के एक नारियल पानी विक्रेता ने बांस के तनों से बनाए स्ट्रॉ
  • प्लास्टिक स्ट्रॉ के विकल्प के रूप में मदुराई के एक नारियल पानी विक्रेता कर रहे हैं पपीता के डंठल का प्रयोग

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। जब एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। छह महीने पहले तमिलनाडु सरकार ने राज्य में प्लास्टिक पर बैन लगाया था जो इस साल 1 जनवरी से प्रभावी हो गया है। यह एक वर्ग के लोगों के लिए जरूर थोड़ा परेशानी भरा हो सकता है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इसके बदले कुछ जबरदस्त विकल्प खोजे हैं।

प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कुछ लोगों ने खाने के सामान और अन्य वस्तुओं की पैकिंग के लिए मंदराई की पत्तियां, केले की पत्तियां और सुपारी की प्लेटों का उपयोग शुरू किया है, लेकिन दक्षिण तमिलनाडु के इन नारियल पानी विक्रेताओं ने प्लास्टिक स्ट्रॉ के विकल्प के रूप में कुछ अलग ही तरीके खोजे हैं।

पपीते के डंठल के स्ट्रॉ

मदुराई के रहने वाले और जैविक खेती के प्रति उत्साही थंगाम पंडियान ने मारवांकुलम बस स्टॉप पर एक विक्रेता को नारियल पानी के लिए पपीते के डंठल का उपयोग करते देखा। थंगाम बताते हैं, "नारियल पानी विक्रेता अपने खेत से पपीते डंठलों को इकट्ठा करता था, जो कि पपीते के खेतों में आसानी से बड़ी मात्रा में मिल जाते हैं। किसान आमतौर पर पपीते की पत्तियों को काटते रहते हैं, इसलिए खेतों में बहुत सारे तने मिल जाते हैं। इन्हीं से ही वह स्ट्रॉ बनाता था। यह बहुत की रोचक बात है कि वह पपीते के डंठलों का उपयोग प्लास्टिक स्ट्रॉ के विकल्प के रूप में कर रहा था।"

थंगाम कहते हैं कि आधे सुखे डंठल की ये स्टॉक बेहद मजबूत होती हैं। यह प्लास्टिक स्ट्रॉ की तरह आसानी से नहीं झुकती और बच्चों को भी यह आसानी से नारियल पानी या अन्य जूस पीने में मदद करती है।

जैविक खेती करने वाले किसान थंगाम खुद साझा करता है कि पपीते के अलावा, इस प्लास्टिक स्ट्रॉ के विकल्प रूप में कई प्रकार की घास का भी उपयोग किया जा सकता है। थंगाम कहते हैं, "पपीते की तरह खोखले डंठल वाले बहुत कम पौधे हैं। यदि आप मक्के के पौधे का डंठल लेते हैं तो उसके अंदर स्पंजी होती है, जो इसे स्ट्रॉ के रूप में इस्तेमाल करने के लिए अयोग्य बनाती है। हालांकि, हमारे पास तमिल में नानल (एक तरह की घास) भी है, जिसका उपयोग भी इस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।

तेनकासी शहर में दिखा बांस का स्ट्रॉ

एक और विक्रेता ने प्लास्टिस स्ट्रॉ का एक जबरदस्त विकल्प खोजा। यह विकल्प पश्चिमी घाटों से घिरे तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के तेनकासी शहर से आया, जो कि बेहद हरा-भरा है। तेनकासी के रहने वाले जे शनमुगा नाथन ने हमें तेनकासी और इदयकाल के बीच एक प्रसिद्ध नारियल पानी विक्रेता के बारे में बताया, जो प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह बांस के स्ट्रॉ का उपयोग करता है। नाथन कहते हैं, "एक दिन रोड के ठीक सामने उसने कई सारे बांस के तने देखें और उसने सोचा कि वो इससे स्ट्रॉ बना सकते हैं। एक बांस के तने से वह 6 से 10 स्ट्रॉ बना सकता है और उसने यह किया।"

नाथन ने बताया कि बांस के स्ट्रॉ ने नारियल पानी को एक अलग ही टेस्ट दिया। नाथन, उस नारियल पानी विक्रेता के इस खोज की तारीफ करते हुए यह भी कहते हैं कि राज्य में प्लास्टिक बैन होना एक अच्छा कदम है। इससे लोग नए-नए विकल्प खोज रहे हैं, जो पर्यावरण के हित में हैं।

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