संबोधन: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद की चीन को दो टूक- अशांति पैदा करने वालों को माकूल जवाब देंगे

संबोधन: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद की चीन को दो टूक- अशांति पैदा करने वालों को माकूल जवाब देंगे

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-14 13:59 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आज (शुक्रवार, 14 अगस्त) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, देश-विदेश में रह रहे, भारत के सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं। इस अवसर पर, हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं। उनके बलिदान के बल पर ही, हम सब, आज एक स्वाधीन देश के निवासी हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है। पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है, जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है। इस दौरान उन्होंने चीन को भी संदेश देते हुए कहा कि जो अशांति उत्पन्न करेगा, उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।

राष्ट्रपति के संबोधन की अहम बातें

इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है। पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है।

इन असाधारण प्रयासों के बल पर, घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में, इस चुनौती का सामना किया जा रहा है। राज्य सरकारों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की। जनता ने पूरा सहयोग दिया। इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्‍या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है। यह पूरे विश्‍व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है।

ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा-योद्धा हैं। इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है। ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर, लोगों की जान बचाते हैं और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए ‘अम्फान’ चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गयीं। इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों तथा सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली।  

दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध, सरकार द्वारा ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है। भारतीय रेल द्वारा इस चुनौती-पूर्ण समय में ट्रेन सेवाएं चलाकर, वस्तुओं तथा लोगों के आवागमन को संभव किया गया है।

भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं। इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए, हाल ही में सम्पन्न चुनावों में मिला भारी समर्थन, भारत के प्रति व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का प्रमाण है। आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया।

सीमाओं की रक्षा करते हुए, हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत माता के वे सपूत, राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे। पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है। हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। 

मेरा मानना है कि कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में, जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है। हमने मौजूदा संकट को सबके हित में, विशेष रूप से किसानों और छोटे उद्यमियों के हित में, समुचित सुधार लाकर अर्थव्यवस्था को पुन: गति प्रदान करने के अवसर के रूप में देखा है। कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए गए हैं। किसान बिना किसी बाधा के, देश में कहीं भी, अपनी उपज बेचकर उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को नियामक प्रतिबंधों से मुक्त करने के लिए ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम’ में संशोधन किया गया है। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

वर्ष 2020 में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। मेरा मानना है कि सही राह पकड़कर, प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित जीवन-शैली को अपनाने का अवसर, मानवता के सामने अभी भी मौजूद है। जलवायु परिवर्तन की तरह, इस महामारी ने भी यह चेतना जगाई है कि विश्व-समुदाय के प्रत्येक सदस्य की नियति एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। मेरी धारणा है कि वर्तमान संदर्भ में ‘अर्थ-केंद्रित समावेशन’ से अधिक महत्व ‘मानव-केंद्रित सहयोग’ का है। 21वीं सदी को उस सदी के रूप में याद किया जाना चाहिए जब मानवता ने मतभेदों को दरकिनार करके, धरती मां की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास किए।

राष्ट्रपति ने सिखाए 4 सबक

पहला:— अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। मेरा मानना है कि सही राह पकड़कर, प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित जीवन-शैली को अपनाने का अवसर, मानवता के सामने अभी भी मौजूद है। जलवायु परिवर्तन की तरह, इस महामारी ने भी यह चेतना जगाई है कि विश्व-समुदाय के प्रत्येक सदस्य की नियति एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। मेरी धारणा है कि वर्तमान संदर्भ में ‘अर्थ-केंद्रित समावेशन’ से अधिक महत्व ‘मानव-केंद्रित सहयोग’ का है। 21वीं सदी को उस सदी के रूप में याद किया जाना चाहिए जब मानवता ने मतभेदों को दरकिनार करके, धरती मां की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास किए।

दूसरा:—  

चौथा सबक:- विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित है। इस वैश्विक महामारी से विज्ञान और टेक्‍नोलॉजी को तेजी से विकसित करने की आवश्यकता पर और अधिक ध्यान गया है।

लॉकडाउन और उसके बाद क्रमशः अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान शासन, शिक्षा, व्यवसाय, कार्यालय के काम-काज और सामाजिक संपर्क के प्रभावी माध्यम के रूप में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है। 

आप सभी देशवासी, इस वैश्विक महामारी का सामना करने में, जिस समझदारी और धैर्य का परिचय दे रहे हैं, उसकी सराहना पूरे विश्व में हो रही है। मुझे विश्‍वास है कि आप सब इसी प्रकार, सतर्कता और ज़िम्मेदारी बनाए रखेंगे।

हमारे पास विश्व-समुदाय को देने के लिए बहुत कुछ है, विशेषकर बौद्धिक, आध्यात्मिक और विश्व-शांति के क्षेत्र में।
मैं प्रार्थना करता हूं कि समस्त विश्व का कल्याण हो:

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत्॥ 

आप सबको, 74वें स्वाधीनता दिवस की बधाई देते हुए आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य एवं सुन्दर भविष्य की कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!

 

 

 

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