भीड़ का उन्माद ज्यादा हो जाए तो रुककर विचार करें, कत्लेआम पर चिंतित राष्ट्रपति

भीड़ का उन्माद ज्यादा हो जाए तो रुककर विचार करें, कत्लेआम पर चिंतित राष्ट्रपति

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-01 16:56 GMT
भीड़ का उन्माद ज्यादा हो जाए तो रुककर विचार करें, कत्लेआम पर चिंतित राष्ट्रपति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भीड़ द्वारा लोगों की हत्याएं करने के मामले में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बोलते हुए चिंता जताई है। कार्यक्रम में मौजूद सोनिया गांधी ने कहा, 'देश के मौजूदा हालात चुनौती बन गए हैं। वर्तमान माहौल घृणा और विभाजन को बढ़ावा देने वाला है जिसे नियंत्रित किया जाना चुनौती है।' इससे पहले 29 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने भी गौ-रक्षा के नाम पर की जा रही हत्याओं को लेकर नाराजगी जताई थी।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'जब भीड़ का उन्माद बहुत ज्यादा, अतार्किक और अनियंत्रित हो जाए तो हमें रुककर विचार करना चाहिए कि क्या हम अपने समय के मूलभूत मूल्यों को बचाने के लिए पर्याप्त रूप से सजग हैं?' उन्होंने कहा, 'मेरा विश्वास है कि नागरिकों की समझदारी और मीडिया की सजगता अंधकार और पिछड़ेपन की शक्तियों के लिए सबसे बड़े निवारक का काम कर सकती है।'

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बिना किसी घटना का हवाला दिए सवाल उठाया कि क्या ऐसी घटनाओं के प्रति हम वाकई सतर्क हैं। राष्ट्रपति ने ये बात कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के स्मृति संस्करण की लॉचिंग के मौके पर दिल्ली के जवाहर भवन में शनिवार को कही। इस मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ सोनिया गांधी ने नेशनल हेराल्ड के स्मृति संस्करण और वेबसाइट को लांच किया।

उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं देश के मूलभूत सिद्धांतों, संविधान की मर्यादा के खिलाफ हैं। इन्हें नहीं रोका गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां सवाल पूछेंगी। उन्होंने देश के नागरिकों, बुद्धिजीवियों और मीडिया का आह्वान किया हमें ऐसे लोगों को हतोत्साहित करने के लिए प्रतिरोधक का काम करना चाहिए।


सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि देश को आजाद कराने की लड़ाई में जिन लोगों को कोई योगदान नहीं है आज वे हमें राष्ट्रवाद की बात समझा रहे हैं। देश के महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और उनकी विरासत को समाप्त करने या घटाने की कोशिश हो रही है।

आज के माहौल में सच बोलना ही होगा। ऐसे में अगर हम चुप रहे तो देश ये मान बैठेगा कि आप की मूक सहमति है। इसलिए हम आवाज जरूर उठाएंगे। नेशनल हेराल्ड देश के लिए जीवन देने वाले महापुरुषों की जिंदगियों का गवाह रहा है। ऐसे समय जब हमें क्षेत्र, जाति और धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। हमें अपने पुराने समय और नेताओं की ओर देखने की जरूरत है।

गौरतलब है कि 29 जून को पीएम मोदी ने कहा था कि गौ-भक्ति के नाम पर लोगों की हत्या स्वीकार नहीं की जा सकती। उन्होंने साबरमती आश्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा था, 'समाज में हिंसा की कोई जगह नहीं है। गौ-भक्ति के नाम पर लोगों की हत्या स्वीकार नहीं की जाएगी। महात्मा गांधी आज होते तो इसके खिलाफ होते।' मोदी ने कहा था, 'आज मैं कुछ शब्द कहना चाहता हूं और कुछ चल रही चीजों पर दुख प्रकट करता हूं। हिंसा से कभी किसी समस्या का समाधान न हुआ है और न होगा। इस देश में किसी व्यक्ति को कानून को अपने हाथों में लेने का अधिकार नहीं है।'

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