राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल को लेकर हंगामा, कार्यवाही स्थगित

राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल को लेकर हंगामा, कार्यवाही स्थगित

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-03 02:58 GMT
राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल को लेकर हंगामा, कार्यवाही स्थगित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक बिल को लेकर बुधवार को राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ। सरकार लोकसभा में बिल तो पास करा चुकी है लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अड़ंगा लगा दिया। कांग्रेस समेत विपक्ष इस बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने की मांग पर अड़ा हुआ है। सरकार विपक्ष की इस मांग पर तैयार नहीं है। हंगामे की स्थिति को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही को गुरुवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

सरकार चाहती है कि राज्यसभा में इसी सत्र में  बिल को पास कर दिया जाए। हालांकि ये थोड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा है, क्योंकि मौजूदा सत्र पांच जनवरी तक ही है। इसका मतलब सरकार के पास इस बिल को पास कराने के लिए केवल दो दिनों का समय है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार को राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। 


विपक्ष चाहता है बिल में कुछ संशोधन

विपक्ष ने इस बिल में 2 संशोधन का प्रस्‍ताव रखा है। राज्यसभा में बिल पेश किए जाने के बाद विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव पर सदन के नेता अरुण जेटली ने गंभीर आपत्ति जताई। जेटली ने कहा कि प्रस्ताव अचानक पेश किया गया, नियमानुसार इसे 24 घंटे पहले रखना चाहिए था। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा, "यह विधेयक दो-तीन पहले ही वितरित कर दिया गया था।


तृणमूल ने नहीं खोले पत्ते

तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में इस इस बिल पर चर्चा के दौरान भाग नहीं लिया था। इसीलिए अब तक तृणमूल कांग्रेस का इस बिल को लेक रुख स्पष्ट नहीं हो पाया है। वहीं समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल भी इस बिल के खिलाफ हैं। ऐसे में राज्यसभा में कौन इस बिल के पक्ष में रहता है ये देखना होगा।


राज्यसभा में  सरकार की स्थिति

245 सदस्यीय राज्यसभा में निर्दलीय और मनोनीत सदस्यों को छोड़कर 28 राजनीतिक पार्टियां हैं, जिनके सदस्य हैं। मौजूदा समय में राज्यसभा में भाजपा के पास 57 सदस्य, कांग्रेस के पास 57, टीएमसी के 12, बीजू जनता दल के 8, बसपा के 5, सपा के 18, एआईएडीएमके के 13, सीपीएम के 7, सीपीआई के 1, डीएमके के 4, एनसीपी के 5, पीडीपी के 2, इनोलो के 1, शिवसेना के 3, तेलुगुदेशम पार्टी के 6, टीआरएस के 3, वाईएसआर के 1, अकाली दल के 3, आरजेडी के 3, आरपीआई के 1, जनता दल (एस) के 1, मुस्लिम लीग के 1, केरला कांग्रेस के 1, नागा पीपुल्स फ्रंट के 1, बीपीएफ के 1 और एसडीएफ के 1 सदस्य हैं। इसके अलावा 8 मनोनीत और 6 निर्दलीय सदस्य हैं।

 


सरकार को राज्यसभा से बिल पास कराने के लिए 123 सांसदों के समर्थन की जरूरत हैऐसे में सरकार की पूरी कोशिश कांग्रेस को साथ लाने की है। अगर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार का साथ दे दिया तो फिर सरकार राज्यसभा में आसानी से बिल पास करा सकेगी। राज्यसभा में कांग्रेस के 57 सांसद हैं। फिलहाल बीजेपी के पास 57 सांसद है। वहीं  जेडीयू के 7, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के 3-3, और टीडीपी के 6 राज्यसभा सांसद हैं। इसके अलावा सरकार को टीआरएस के 3, आरपीआई के 1 और एनपीएफ के 1 सांसद का  समर्थन मिल जाएगा। लेकिन , बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सांसदों की ताकत राज्यसभा में उसे बहुमत के करीब पहुंचाने लायक नहीं है।

 

डीएमके सांसद कनिमोझी का कहना है कि तीन तलाक का बिल प्रवर समिति को पास भेज देना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि डीएमके राज्यसभा में सरकार का साथ इस बिल को लेकर नहीं देने वाला। हलांकि अल्पमत वाली सरकार को इन पार्टियों की जरुरत है, क्योंकि राज्यसभा में डीएमके के चार सदस्य है। सीपीआई नेता डी राजा ने भी ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा की प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। उधर, एनसीपी नेता मजीद मेमन ने कहा कि पार्टी ने पहले ही स्‍पष्‍ट कर दिया है कि हम पूरी तरह से अपराधीकरण के खिलाफ हैं। वहीं सरकार के एक मंत्री ने कहा, "कानून को समय के साथ बेहतर किया जा सकता है, लेकिन इसे स्टैंडिंग कमिटी को भेजा जाना वही गलती होगी, जो राजीव गांधी सरकार ने शाह बानो मामले में की थी।" लेफ्ट और एसपी जैसी कुछ क्षेत्रीय पार्टियां बिल को लेकर अपना विरोध जाहिर कर चुकी हैं। 

लोकसभा में आसानी से पास

गुरुवार को तीन तलाक को अपराध करार देने वाले इस विधेयक को लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था, जिस पर दिन भर चली बहस के बाद वोटिंग हुई और शाम को इसे पास कर दिया गया था। AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसमें तीन संसोधन की मांग रखी थी, ओवैसी का प्रस्ताव 2 वोटों के मुकाबले 241 मतों के भारी अंतर से खारिज कर दिया गया, जबकि 4 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तीन तलाक बिल के पास होने की घोषणा की। ओवैसी के अलावा बीजेडी के भर्तुहरी माहताब, कांग्रेस की सुष्मिता देव और सीपीआईएम के ए संपथ ने फभी संशोधन प्रस्ताव पेश किया था। ये सारे संशोधन प्रस्ताव बहुमत से खारिज कर दिए गए थे।

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