इन पर MRP से ज्यादा वसूलने पर नहीं होगी रेस्टोरेंट संचालकों को जेल

इन पर MRP से ज्यादा वसूलने पर नहीं होगी रेस्टोरेंट संचालकों को जेल

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-13 03:47 GMT
इन पर MRP से ज्यादा वसूलने पर नहीं होगी रेस्टोरेंट संचालकों को जेल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में अब होटल और रेस्टोरेंट संचालक MRP से ज्यादा कीमत पर पैक्ड फूड और मिनरल वॉटर की बॉटल बेच सकेंगे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में ये कहा गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमे उन्होंने कहा था की MRP से ज्यादा कीमत पर पैक्ड फूड बेचना, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट का उल्लंघन है। हालांकि अभी मामले पर कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी है। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अगुवाई वाली एक खंडपीठ ने की।

 

रेस्टोरेंट संचालकों की दलील

दरअसल रेस्टोरेंट संचालकों ने सुनावाई के दौरान कोर्ट में दलील दी कि, रेस्टोरेंट में कोई भी व्यक्ति मिनरल वॉटर की बोतल खरीद कर ले जाने नहीं आता है। वह रेस्टोरेंट की सभी सुविधाओं का लाभ उठाते हुए इसे यहीं पीता है। टेबल और बर्तन सहित वह रेस्टोरेंट के माहौल का लुत्फ उठाता है, इसीलिए अगर ज्यादा चार्ज पैक्ड फूड और मिनरल वॉटर पर लिया जाता है तो ये गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी रेस्टोरेंट संचालकों की इस दलील को मानते हुए सही ठहराया।

 

सर्विस के दायरे में आता है पैक्ड फूड

होटल एसोसिएशन के एडवोकेट समीर पारिख ने कहा कि रेस्टोरेंट में पैक्ड फूड और मिनरल वाटर को ज्यादा कीमत पर बेचना लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि ये सर्विस के दायरे में आता है।

 

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया ने 2015 में आए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने कहा था कि 2009 का लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट सरकार को ये अधिकार देता है कि, वो एमआरपी से ज़्यादा कीमत वसूलने वाले होटल-रेस्टोरेंट पर कार्रवाई करे ।

 

मेट्रोलॉजी एक्ट का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने कहा था, छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूल करना उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है, यहां तक कि ये टैक्स चोरी को बढ़ावा देता है। सरकार ने कहा कि बोतलों पर छपी कीमत से ज्यादा पैसे वसूलने के चलन से सरकार को भी सर्विस टैक्स और एक्साइज ड्यूटी में नुकसान झेलना पड़ता है। सरकार ने लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के सेक्शन 36 का उल्लंघन बताया था।

 

क्या है मेट्रोलॉजी एक्ट?
   
लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट की धारा-36 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को प्री-पैकेज्ड प्रॉडक्ट पर छपी हुई कीमत से ज्यादा की कीमत पर बेचते, बांटते या डिलीवर करते पाया गया, तो उसके इस पहले अपराध के लिए उसपर 25,000 का जुर्माना लगेगा। अगर उसने दोबारा ये अपराध किया तो उसे 50,000 के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अगर उसने ऐसा करना जारी रखा तो उसे 1 लाख का जुर्माना या एक साल जेल या दोनों हो सकता है।
 

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