Covid-19 vaccine: भारत को कोविड-19 वैक्सीन Sputnik-V की 100 मिलियन खुराक बेचेगा रूस

Covid-19 vaccine: भारत को कोविड-19 वैक्सीन Sputnik-V की 100 मिलियन खुराक बेचेगा रूस

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-16 12:03 GMT
Covid-19 vaccine: भारत को कोविड-19 वैक्सीन Sputnik-V की 100 मिलियन खुराक बेचेगा रूस
हाईलाइट
  • डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज करेगी Sputnik-V की 300 मिलियन खुराक का उत्पादन
  • रूस की कोरोनावायरस वैक्सीन को विदेशों में वितरित करने की योजना

डिजिटल डेस्क, मॉस्को। रूस ने अपनी कोरोनावायरस वैक्सीन को विदेशों में वितरित करने की योजना बनाई है। ऐसे में रूस के सोवरिन वेल्थ फंड ने भारतीय दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज को अपनी कोरोनावायरस वैक्सीन, स्पुतनिक-V की 100 मिलियन खुराक की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की है। रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के भारतीय मैनुफैक्चरर के साथ 300 मिलियन खुराक का उत्पादन करने के एग्रीमेंट के बाद ये डील हुई है। RDIF ने कहा, डॉ. रेड्डीज, भारत की शीर्ष दवा कंपनियों में से एक है, जो भारत में वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल करेगी।

डिलीवरी संभवत 2020 के अंत में शुरू
रूसी फंड ने कहा कि डिलीवरी संभवत 2020 के अंत में शुरू हो सकती है। स्पुतनिक-V को गैमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने रशियन डायरेक्ट इवनेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के साथ मिलकर तैयार किया है। इसे 11 अगस्त को रजिस्टर किया गया था। उन्होंने कहा था कि उनकी एक बेटी को टीका लग चुका है, यह काफी प्रभावी है और शरीर में स्थाई प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। बता दें कि भारत में पहले से तीन वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। इनमें भारत बायोटेक और कैडिला-जायडस की वैक्सीन का फेज-दो का ट्रायल चल रहा है। तीसरी वैक्सीन आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की है, जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बनाने जा रहा है। 

कैसे काम करती है रूसी कोरोना वैक्सीन?
रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। मॉस्को की सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में 18 जून से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुए थे। 38 लोगों पर की गई स्टडी में यह वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। सभी वॉलंटिअर्स में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी भी पाई गई है।

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