शिरडी : साईबाबा के जन्मस्थान पर विवाद, अनिश्चितकाल के लिए होटलें और दुकानें रहेंगी बंद

शिरडी : साईबाबा के जन्मस्थान पर विवाद, अनिश्चितकाल के लिए होटलें और दुकानें रहेंगी बंद

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-17 05:55 GMT
शिरडी : साईबाबा के जन्मस्थान पर विवाद, अनिश्चितकाल के लिए होटलें और दुकानें रहेंगी बंद
हाईलाइट
  • अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेगा शिरडी गांव
  • साईबाबा के जन्मस्थान को लेकर विवाद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले से शिरडी के साईं बाबा के जन्मस्थान को लेकर विवाद पैदा हो गया है। इस विवाद के चलते रविवार से शिरडी गांव को अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने का फैसला लिया गया है। हालांकि भक्तों के दर्शन के लिए साईंं मंदिर खुला रहेगा। ऐसे में दूर-दूर से शिरडी आने वाले साईं भक्तों को ठहरने और खाने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। साईं बाबा समाधी के प्रशासनिक निकाय ने ये फैसला लिया है।

क्या कहा था सीएम ठाकरे ने?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 9 जनवरी को अपने एक भाषण में परभणी जिले में स्थित पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान बताते हुए उसके विकास के लिए 100 करोड़ रुपए की निधि देने का ऐलान किया था। सीएम ठाकरे के इस फैसले से शिरडी के लोग नाराज हो गए हैं। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी साईं बाबा के जन्मस्थान को लेकर ऐसा ही एक बयान दिया था। राष्ट्रपति 1 अक्टूबर 2018 को साईं बाबा समाधि शताब्दी समारोह का उद्धघाटन करने आए थे। उस वक्त उन्होंने कहा था कि पाथरी गांव साईंबाबा का जन्मस्थान है और इसके विकास के लिए मैं काम करूंगा।

बाबा ने नहीं बताया था अपना जन्मस्थान
शिरडी के विधायक राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि इतने वर्षों से शिरडी साईं बाबा की भूमि रही है। राज्य सरकार के इस फैसले से करोड़ों साईं भक्तों को ठेस पहुंची है। बाबा के जन्मस्थान का यह विवाद बेबुनियाद है। शिरडी के लोगों का कहना है कि साईंबाबा ने कभी नहीं बताया उनका जन्म कहा हुआ था। शिरडी के पूर्व नगरसेवक तुषार गोंदकर ने भी कहा कि बाबा कहां से आए थे यह बात उन्होंने कभी नहीं बताई थी।

शिरडी के कारण नहीं हो सका पाथरी का विकास
पाथरी के लोगों का आरोप है कि शिरडी के कारण ही उनका विकास नहीं हो पा रहा है। पाथरी की जनता का कहना है कि अगर उनके यहां विकास हुआ तो शिरडी को निश्चित तौर पर आर्थिक नुकसान होगा। दूसरा तीर्थक्षेत्र साईं बाबा के नाम से विकसित हुआ तो शिरडी का महत्व कम हो जाएगा। परभणी के रहने वाले राकांपा के विधान परिषद सदस्य बाबाजानी दुर्राना कहा कि पाथरी बाबा की जन्मभूमि और शिरडी कर्मभूमि है। दोनों स्थानों का अपना महत्व है। इसको लेकर पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। 

स्वागत योग्य है सीएम का फैसलाः अशोक चव्हाण
इस विवाद पर राज्य के सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि परभणी के पाथरी में बड़ी संख्या में साईं भक्त दर्शन के लिए जाते हैं। उनकी सुविधा के लिए मुख्यमंत्री ने मंदिर परिसर का विकास करने का फैसला किया है। उनका फैसला स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि साईं बाबा के जन्मस्थल विवाद को लेकर साईं भक्तों को सुविधाओं से वंचित करना सही नहीं होगा।

 

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