गैंगस्टर दुबे एनकाउंटर मामले में एनएचआरसी से हस्तक्षेप की मांग

गैंगस्टर दुबे एनकाउंटर मामले में एनएचआरसी से हस्तक्षेप की मांग

IANS News
Update: 2020-07-10 13:01 GMT
गैंगस्टर दुबे एनकाउंटर मामले में एनएचआरसी से हस्तक्षेप की मांग
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  • गैंगस्टर दुबे एनकाउंटर मामले में एनएचआरसी से हस्तक्षेप की मांग

नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)। राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से गैंगस्टर विकास दुबे को उत्तर प्रदेश में कानपुर के निकट शुक्रवार सुबह एनकाउंटर में मारे जाने के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने मानवाधिकार आयोग से कहा कि दुबे मामले में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

पूनावाला ने कहा कि मुठभेड़ ने कई संदेह पैदा किए हैं।

गैंगस्टर दुबे और उसके साथियों पर तीन जुलाई को बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप था। पुलिस की ओर से बताया गया है कि जब वह शुक्रवार सुबह दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर ले आ रहे थे तो उसने भागने की कोशिश की और पुलिस टीम पर हमला किया, जिसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में वह मारा गया।

अब एनएचआरसी को लिखे पत्र में पूनावाला ने कहा, पुलिस अधिकारियों को विकास दुबे के बारे में बेहद सतर्क रहना चाहिए था।

उन्होंने कहा, कानून और मानवाधिकार आयोग की अदालत के समक्ष उत्तर प्रदेश पुलिस के गैरकानूनी और असंवैधानिक व्यवहार के बारे में पहले से ही कई शिकायतें हैं। पूनावाला ने आत्मसमर्पण करने वाले अभियुक्तों को मारने के लिए पुलिस पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा, जब दुबे को अंतिम बार देखा गया था तो वह एक टाटा सफारी में बैठा दिख रहा था, जबकि तस्वीरों में जो वाहन पलट दिखा है और जिसके माध्यम से दुबे ने भागने की कोशिश की, वह एक महिंद्रा टीयूवी है।

उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों के वाहन पुलिस के उस काफिले का पीछा कर रहे थे, जिसमें गैंगस्टर को मध्य प्रदेश के उज्जैन से उत्तर प्रदेश लाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि कथित मुठभेड़ होने से ठीक पहले रहस्यमय तरीके से बीच रास्ते में गाड़ी रोक दी गई थी।

राजनीतिक विश्लेषक ने पूछा कि पूरी तरह से अच्छी सड़क पर एसयूवी कैसे पलट गई और दो पुलिस कर्मियों के बीच में बैठे होने के बावजूद दुबे गाड़ी से बाहर कैसे निकला और उसके हाथ क्यों नहीं बंधे थे।

पत्र में कहा गया है, विकास दुबे के एनकाउंटर के पीछे उपरोक्त सवाल एक गंभीर संदेह पैदा करता है कि गुरुवार सुबह उज्जैन में महाकाल मंदिर में आत्मसमर्पण करने के बाद कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए इस मुठभेड़ का संज्ञान लेना चाहिए।

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