आईएमए घोटाला मामले में आईएएस अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी

आईएमए घोटाला मामले में आईएएस अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी

IANS News
Update: 2020-06-11 15:30 GMT
आईएमए घोटाला मामले में आईएएस अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी बी. एम. विजयशंकर और राज्य सर्विस कैडर के दो अन्य अधिकारियों की आईएमए पोंजी घोटाले में रिश्वत लेने के आरोप में जांच के लिए अभियोजन स्वीकृति मांगी है। आईएमए पोंजी घोटाला में चार हजार करोड़ की बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी हुई थी।

सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने जिन अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति मांगी है, उनमें आईएएस अधिकारी बी. एम. विजयशंकर, कर्नाटक सेवा अधिकारी बैंगलोर शहरी क्षेत्र के तत्कालीन उपायुक्त एल. सी. नागराज, तत्कालीन उप प्रभागीय अधिकारी बैंगलोर उत्तर प्रभाग व ग्राम लेखाकार एन. मंजूनाथ शामिल हैं।

सरकार के एक सूत्र ने कहा, विजयशंकर और नागराज ने आई मॉनेटरी एडवाइजरी (आईएमए) ग्रुप, इसके प्रमोटरों और निदेशकों से एक जांच में उनकी कंपनी को फायदा पहुंचाने की एवज में अवैध रूप से लाभ प्राप्त करते हुए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया।

आईएमए घोटाला 2018 में सुर्खियों में आया था। इसमें मासिक योजना, शिक्षा योजना, विवाह आदि के नाम पर विभिन्न पोंजी योजनाओं में निवेश करने के लिए लोगों से अवैध तरीके से धन संग्रह किया गया था। इस घोटाले की योजना ग्रुप के प्रमुख मोहम्मद मंसूर खान ने बनाई थी, जिसे दुबई से वापस लाकर जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

जब यह घोटाला सामने आया, तो आईएमए समूह के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए विजयशंकर और नागराज को कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स इन फाइनेंशियल इस्टैब्लिशमेंट्स (केपीआईडी) एक्ट, 2004 के तहत सक्षम प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया था।

आईएमए के निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद स्थानीय पुलिस उस मामले की भी जांच कर रही थी, जिसे बाद में सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।

सूत्र ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने आईएमए और इसके संस्थानों व डायरेक्टर पर सरकारी नियमों का उल्लंघन करने और गैरकानूनी तरीके से पोंजी कंपनियों को चलाने और बड़ी रकम का दुरुपयोग करने व अन्य उल्लंघनों पर जांच करने और उचित कार्रवाई करने के लिए पत्र भेजे थे।

जांच में पाया गया कि आईएमए और उसकी संस्थाएं सरकारी नियमों का उल्लंघन और लोगों द्वारा निवेश की गई बड़ी राशि का अवैध रूप से दुरुपयोग कर रही हैं। इसके साथ ही यह भी पता चला कि विजय शंकर और नागराज द्वारा जानबूझकर आईएमए और इसके संस्थानों के पक्ष में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई। इसकी एवज में इन अधिकारियों ने आईएमए की ओर से कथित तौर पर लाभ भी प्राप्त किए। यही नहीं इन्होंने आईएमए और इसकी संस्थाओं को उनकी अवैध गतिविधियों को जारी रखने में भी कथित तौर पर मदद की।

यह भी आरोप लगाया गया कि मंजूनाथ ने ग्राम लेखाकार के रूप में काम करते हुए विजयशंकर और नागराज के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचा।

जांच के दौरान यह पाया गया कि नवंबर 2018 में नागराज को 50 लाख रुपये रिश्वत मिली थी। इसके बाद मार्च 2019 के पहले सप्ताह में उसे दो बार दो करोड़ यानी कुल चार करोड़ रुपये और मिले। यह राशि मंजूनाथ के माध्यम से प्राप्त की गई थी।

आईएमए घोटाला मामले में, एजेंसी ने 22 आरोपियों के खिलाफ दो आरोप पत्र दायर किए हैं और जांच अभी भी जारी है।

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