हम नेताओं को आशीर्वाद देते हैं, वोटरों को प्रभावित नहीं करते : लिंगायत मठ

हम नेताओं को आशीर्वाद देते हैं, वोटरों को प्रभावित नहीं करते : लिंगायत मठ

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-25 03:29 GMT
हम नेताओं को आशीर्वाद देते हैं, वोटरों को प्रभावित नहीं करते : लिंगायत मठ

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सत्ताधारी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य सभी पार्टियों ने प्रचार-प्रसार पर अपना पूरा जोर लगा दिया है। इसी बीच कर्नाटक चुनाव में अपना एक बड़ा महत्व रखने वाले लिंगायत समुदाय के सिद्धगंगा मठ से आए एक बयान ने सभी पार्टियों को तगड़ा झटका दिया है। सिद्धगंगा मठ के सिद्धलिंग स्वामी ने कहा है, "हम सिर्फ राजनेताओं को आशीर्वाद मात्र देते हैं, वोटरों का प्रभावित नहीं करते।" सिद्धगंगा मठ से इस तरह का बयान आने के बाद से लिंगायत समुदाय को रिझाने में जुटी राजनीतिक पार्टियों को बड़ा झटका माना जा रहा है।

सिद्धगंगा मठ,  टुमकुरू के श्रीश्रीश्री शिवकुमार स्वामीजी

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में 225 सीटें हैं, जिसके लिए कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सीएम सिद्धारमैया ने तो लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने तक की मांग भी कर दी थी, जिससे केंद्र सरकार ने पल्ला झाड़ते हुए मना कर दिया था। राज्य में लिंगायत समुदाय को रिझाने के लिए कुछ समय पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सिद्धगंगा मठ के स्वामी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया था। इसके सप्ताहभर बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने 2 दिवसीय दौरे के दौरान लिंगायत समुदाय के संत श्री शिवकुमार स्वामी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया था।

केदारनाथ से लिंगायत समुदाय को रिझाएंगे पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह कर्नाटक में चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए आने वाले हैं। मगर वे इस दौरे से पहले उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के दौरे पर जाएंगे। माना जा रहा है कि पीएम मोदी यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के साथ साथ लिंगायत समुदाय को अपनी ओर रिझाने का भी प्रयत्न करेंगे। पीएम मोदी यहां केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी से भी मुलाकात करेंगे और वीरशैव लिंगायत समुदाय से हैं।

लिंगायत कर्नाटक का सबसे बड़ा समुदाय है। यही कारण है कि केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी इस समुदाय को अपने पाले में करने की जद्दोजहद कर रहे हैं। पिछले सप्ताह विदेश प्रवास पर गए मोदी ने बसव जयंती पर 12वीं सदी के समाज सुधारक और लिंगायत समुदाय के संस्थापक संत बसवेश्वर की लंदन में लगी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। टेम्स नदी के किनारे लगी इस प्रतिमा का अनावरण भी तीन साल पहले मोदी ने ही किया था।

6 दिन में 16 सभाएं करेंगे मोदी

भाजपा के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी 29 अप्रैल से राज्य में प्रचार करेंगे। मोदी 8 दिन में अलग-अलग क्षेत्रों में 16 सभाएं करेंगे। पार्टी बेंगलूरु और आसपास के इलाके में मोदी की दो रैलियां कराने की तैयारी कर रही है। पार्टी नेताओं के मुताबिक मोदी की पहली रैली कोलार में होगी और 29 अप्रैल को ही मोदी रायचूर में भी रैली को संबोधित करेंगे।

  • इसके बाद 1 मई को मोदी बल्लारी और बेलगावी में रैली को संबोधित करेंगे।
  • 3 मई को मोदी चामराजनगर और उडुपी में रैली करेंगे।
  • 5 मई को मोदी जमखंडी और बेंगलूरु में रैली को संबोधित करेंगे।
  • 6 मई को कलबुर्गी और हुब्बल्ली, 7 मई को शिवमोग्गा और तुमकूरु, 8 को मेंगलूरु और बेंगलूरु को संबोधित कर सकते हैं।
  • इसके अलावा 9 मई को भी मोदी 2 रैलियां करेंगे, लेकिन अभी तक पार्टी ने स्थल तय नहीं किए हैं।

अमित शाह की मुलाकात

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी लिंगायत समुदाय को रिझाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। उन्होंने टुमकुरू के सिद्धगंगा मठ में 26 मार्च को लिंगायत समुदाय के संत श्री शिवकुमार स्वामी से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया था। इस दौरान शाह ने ट्वीट में कहा था कि मुझे सिद्धगंगा मठ,  टुमकुरू के श्रीश्रीश्री शिवकुमार स्वामीजी से आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। इस उम्र में भी उनका अथक कार्य प्रेरणादायी है। उनका जीवन एक जीता-जागता सबक है और हम सबके लिए मार्गदर्शक है।

राहुल गांधी की मुलाकात

अमित शाह के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने कर्नाटक दौरे के दौरान सिद्धगंगा मठ पहुंचे थे। यहां उन्होंने 111 साल के शिवकुमार स्वामी से मुलाकात कर आशीर्वाद भी लिया था। इस दौरान राहुल गांधी ने स्वामी को 111 गुलाबों के फूलों का गुलदस्ता भेंट किया था। इस दौरान राहुल गांधी के साथ कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष जी. परमेस्वर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे भी थे। 4 अप्रैल को कर्नाटक दौरे पर गए राहुल गांधी ने कहा था कि डॉ. शिवकुमार स्वामी से आशीर्वाद पाने के बाद वे बहुत खुश हैं।

भागवत के बयान से भी गरमाई थी राजनीति

कुछ ही समय पहले लिंगायत मामले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने पहली बार कोई बयान दिया था। इस बयान के बाद से राजनीति का काफी गरमा गई थी। लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने पर भागवत ने कहा था कि एक ही धर्म के लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है, जो लोग इसके पीछे जिम्मेदार हैं वो राक्षसी प्रवृत्ति के तहत बांटों और राज करो की नीति अपना रहे हैं। उन्होंने यह बात नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही थी।

कितना प्रभावशाली है लिंगायत समुदाय

कर्नाटक में ये समुदाय संख्या बल के हिसाब से काफी बड़ा और मजबूत है। यही कारण है कि यह राज्य में राजनीतिक रूप से भी काफी प्रभावशाली है। राज्य में लिंगायत/ वीरशैव समुदाय की कुल आबादी में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी होने का अनुमान है। लिंगायत समुदाय ने 1980 के दशक में रामकृष्ण हेगड़े पर भरोसा किया था। इसके बाद 1989 में कांग्रेस नेता वीरेंद्र पाटिल को समर्थन देते हुए सीएम बनाया था। लिंगायतों ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को भी अपना नेता चुना था। मगर अब लिंगायत समुदाय किस ओर अपना झुकाव बनाएगा, यह कहना काफी मुश्किल नजर आ रहा है।

12 मई को होगा मतदान, 15 को आएगा रिजल्ट

गौरतलब है कि कर्नाटक में 12 मई को एक चरण में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसके लिए 17 अप्रैल को नामांकन हो चुका है। इस बार किसकी सरकार बनेगी इसका पता 15 मई को चलेगा, मतलब इस दिन रिजल्ट घोषित हो जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि चुनाव VVPAT मशीन से कराये जाएंगे और पूरे कर्नाटक में 56 हजार पोलिंग बूथ बनाये जाएंगे। आपको बता दें कर्नाटक विधानसभा में 225 सीटें हैं।

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