कांग्रेस का आरोप नफरत की राजनीति कर रही बीजेपी, संसद में भिड़े मोदी और सोनिया

कांग्रेस का आरोप नफरत की राजनीति कर रही बीजेपी, संसद में भिड़े मोदी और सोनिया

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-09 08:33 GMT
कांग्रेस का आरोप नफरत की राजनीति कर रही बीजेपी, संसद में भिड़े मोदी और सोनिया

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली।  बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा सदन में देश की आज़ादी के लिए वर्ष 1942 में छेड़े गए "भारत छोड़ो आंदोलन" के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कहा कि जीवन की अच्छी घटनाओं को याद करने से ताकत मिलती है और युवा पीढ़ी तक सही बात पहुंचाना हमारा कर्तव्य रहता है।  उन्होंने कहा कि भारत के लोगों से इतने व्यापक और तीव्र आंदोलन की कल्पना अंग्रेजों ने नहीं की थी। महात्मा गांधी समेत कई दिग्गज नेता जेल चले गए और उसी समय बहुत से नए नेताओं का जन्म हुआ। लाल बहादुर शास्त्री और राम मनोहर लोहिया समेत कई नेता उस समय उभरकर सामने आये। 

बापू ने कहा था- "हम करेंगे या मरेंगे"
1942 के व्यापक जनसंघर्ष में हर देशवासी जुड़ गया था। गांधी के शब्दों को लेकर सब चल पड़े थे। यही समय था, जब सब जगह से आवाज आ रही थी "भारत छोड़ो"। महात्मा गांधी के मुंह से "करेंगे या मरेंगे" शब्द देश के लिए अजूबा थे। गांधी ने कहा था कि मैं पूरी आजादी से कम किसी भी बात पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं। हम करेंगे या मरेंगे। उस समय जनभावनाओं के अनुकूल बापू ने इन शब्दों का प्रयोग किया था।

सवा सौ करोड़ देशवासी करेंगे गांधी का सपना पूरा

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, आज हमारे पास गांधी नहीं हैं, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ मिलकर काम करें, तो गांधी के सपनों को पूरा करना मुश्किल काम नहीं है। 1942 में उस समय भी हम कई देशों के लिए प्रेरणा का कारण बने थे, वैसे ही मोड़ पर आज भी खड़े हैं। आज भी हम दूसरे देशों के लिए प्रेरणा का कारण बन सकते हैं. हमारे लिए दल से बड़ा देश होता है, राजनीति से ऊपर राष्ट्रनीति होती है। मुझसे ऊपर सवा सौ करोड़ देशवासी होते हैं। अगर हम मिलकर चलें, तो समस्याओं के खिलाफ आगे बढ़ सकते हैं।

"वे ऑफ लाइफ" को बदलें 

मोदी ने कहा, भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने देश को बर्बाद करके रखा हुआ है। अगर मैं रेड लाइट क्रॉस करके निकलता हूं, तो लगता ही नहीं कि गलत कर रहा हूं। हमारे व्यवाहर में नियमों को तोड़ना स्वभाव बनता जा रहा है। कहीं एक्सीडेंट हो गया, तो ड्राइवर को मार देते हैं और कार को जला देते हैं। हमारी "वे ऑफ लाइफ" में ऐसी चीजें घुस गई हैं कि लगता ही नहीं, कानून तोड़ रहे हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम कर्तव्यभाव को जगाएं। छोटी-छोटी गलतियां हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गई हैं।

आजाद हिन्दुस्तान का मंत्र है - करेंगे और करके रहेंगे

उन्होंने कहा, वही पांच साल का "हाई जंप" वाला समय हम 2017 से 2022 के बीच दोबारा ले आएं, तो भारत पूरे दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगा। जीएसटी की सफलता किसी एक की सफलता नहीं, इस सदन में बैठे हर आदमी की इच्छा है। दुनिया सोच रही है कि यह देश कर सकता है, तो कोई भी कर सकता है। हम 2022 तक देश से भ्रष्टाचार दूर करेंगे। सभी मिलकर गरीबों को उनका अधिकार दिलाएंगे, नौजवानों को रोजगार के अवसर देंगे और देकर रहेंगे, कुपोषण के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे और लड़के रहेंगे। महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाली बेड़ियों को खत्म करेंगे और करके रहेंगे, अशिक्षा को खत्म करेंगे और करके रहेंगे। आजाद हिन्दुस्तान का मंत्र है - करेंगे और करके रहेंगे।

संसद में सोनिया का मोदी सरकार और संघ पर हमला

भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह के मौके पर बुधवार को संसद में सोनिया ने अपने संबोधन के दौरान आरएसएस और मोदी सरकार पर निशाना साधा। सोनिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि देश में अंधकार की शक्तियां तेजी से उभर रही हैं। कानून के राज पर गैरकानूनी शक्तियां हावी हो रही हैं। सोनिया ने भारत छोड़ो आंदोलन में कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने इसका विरोध किया था। 

आजादी में गिनाया कांग्रेस का योगदान

आजादी की लड़ाई में कांग्रेस और उसके कार्यकताओं के बलिदान को याद करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि किस तरह कई कांग्रेस कार्यकर्ता जेल के अंदर ही बीमारी से मारे गए और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जेल में सबसे लंबा वक्त बिताया। सोनिया ने कटाक्ष किया, "आज जब हम उन शहीदों को नमन कर रहे हैं। जो स्वाधीनता संग्राम में सबसे अगली कतार में रहे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उस दौर में ऐसे संगठन और व्यक्ति भी थे। जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था। इन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं रहा।" सोनिया के ऐसा कहने पर कुछ सदस्यों पर शोर भी मचाया। 

हर तरफ नफरत और विभाजन की राजनीति के बादल  

उन्होंने कहा कि ये आंदोलन हमें इस बात की याद दिलाता है कि संकीर्ण मानसिकता वाले, विभाजनकारी सोच वालों का कैदी बनने नहीं दे सकते हैं। महात्मा गांधी ने एक न्याय संगत भारत के लिए लड़ाई लड़ी थी। लेकिन इस पर नफरत और विभाजन की राजनीति के बादल छा गए हैं, पब्लिक स्पेस में विचारों की बहस की गुंजाइश कम हो रही है, कई बार कानून के राज पर भी गैर कानूनी शक्तियां मजबूत होती दिख रही है।अगर हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है तो हमें हर दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा चाहे वे कितनी भी सक्षम हो। हमें उस भारत के लिए लड़ना है जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं, जिसमें भारत में हर कोई आजाद है जिसकी आजादी निर्विवाद है।

 

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