मोदी सरकार ने आरटीआई कानून को कमजोर किया: सोनिया

मोदी सरकार ने आरटीआई कानून को कमजोर किया: सोनिया

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-31 12:25 GMT
मोदी सरकार ने आरटीआई कानून को कमजोर किया: सोनिया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरटीआई कानून में संशोधन को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया है। उन्होंने मोदी सरकार पर इसके प्रभाव को कमजोर करने का आरोप लगाया।

सोनिया गांधी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार ने अब आरटीआई को बर्बाद करने के लिए अपना अंतिम हमला शुरू किया है। इसकी प्रभावशीलता को और खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने संशोधन पारित किए हैं, यह सूचना आयुक्त कार्यालय को इस तरीके से शक्तिहीन करेगा कि वह बहुत हद तक सरकार की दया पर निर्भर रहेगा। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने पहले भर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में बधाएं पैदा की थीं।

बयान में कहा कि यह कोई रहस्य नहीं है कि मोदी सरकार ने इस असाधारण संस्थान को लोगों के प्रति जिम्मेदार हुए बिना अपने प्रमुख एजेंडे को लागू करने के लिए एक बाधा के रूप में देखती है। उनके पहले कार्यकाल में सूचना आयुक्त के कई कार्यालय खाली रहे, जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त कार्यालय (10 महीनों के लिए) भी शामिल था। कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उपलब्धियों में से एक सूचना का अधिकार 2005 का पारित होना था। इस ऐतिहासिक कानून ने ऐसे संस्थान को जन्म दिया जो बीते 13 सालों में आम आदमी के लिए लोकतंत्र, पारदर्शिता व जवाबदेही का प्रहरी बन गया है।

उन्होंने कहा, सूचना आयुक्तों का कार्यकाल अब केंद्र सरकार के विवेक पर है। आरटीआई एक्ट 2005 में अवधिक को पांच साल के लिए तय किया गया था, जिसे अब घटाकर 3 साल कर दिया गया है। नए संशोधनों के अनुसार, वेतन, भत्ते और शर्तो के नियम, जो चुनाव आयुक्तों के बराबर थे, अब केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएंगे। आरटीआई अधिनियम संशोधन संसद में पारित किए गए, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया।

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