केजरीवाल को झटका:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, LG ही हैं 'दिल्ली के बॉस'

केजरीवाल को झटका:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, LG ही हैं 'दिल्ली के बॉस'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-02 11:58 GMT
केजरीवाल को झटका:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, LG ही हैं 'दिल्ली के बॉस'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने LG को ही "दिल्ली का बॉस" बताया है। कोर्ट में पांच जजों के संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार से बताया कि प्रावधान के मुताबिक उपराज्यपाल को संविधान ने प्रमुखता दी है। दिल्ली सरकार के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को भी संविधान के दायरे में काम करना होगा क्योंकि भूमि, पुलिस और पब्लिक आर्डर पर उसका नियंत्रण नहीं है।

बतौर केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली सरकार के अधिकारों की संविधान में व्याख्या है उपराज्यपाल के अधिकार भी चिन्हित हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच कोई मतभेद होगा तो मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

इस पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संवैधानिक प्रावधानों को सौहार्दपूर्ण तरीके से बनाया जाना चाहिए। चुनी हुई सरकार की भी अपनी गरिमा है। ऐसा नहीं हो एकता है कि उपराज्यपाल जो चाहे वो अपने मन से करे। उपराज्यपाल के पास एक के बाद एक कल्याणकारी योजनाओं की फाइलें भेजी गई हैं लेकिन वो एक साल से ज्यादा से फाइलों को लटकाए हुए हैं। दिल्ली सरकार ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि हम जब कोई प्रस्ताव चीफ सेकेट्री के पास भेजते हैं तो वो कहते हैं कि उपराज्यपाल से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। उपराज्यपाल कार्यपालिका के आदेश की फाइलों पर क्यों नहीं काम करते, वो क्यों बैठे रहते हैं। दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के रोजाना कामकाज में दखल दे रही है।

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 239AA के तहत दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है। उसकी व्याख्या होनी चाहिए। बता दें कि दिल्ली सरकार की ओर से गोपाल सुब्रमण्यम बहस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, दिल्ली राज्य नहीं केंद्रशासित प्रदेश है। दिल्ली की अपनी चुनी हुई सरकार होगी। 239 AA के तहत उपराज्यपाल को कोई भी फैसला लेने से पहले दिल्ली की सरकार की सहमति लेनी होगी। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वक़ील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि एक चुनी हुई सरकार जो जनता के लिए जवाबदेह हो। 239AA के तहत अगर मंत्रियों के समूह द्वारा लिए गए निर्णय से अगर LG सहमत नहीं होते तो फिर मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।  
 

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