9 जजों की बेंच ने एक साथ कहा, 'निजता मौलिक अधिकार'

9 जजों की बेंच ने एक साथ कहा, 'निजता मौलिक अधिकार'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-24 02:45 GMT
9 जजों की बेंच ने एक साथ कहा, 'निजता मौलिक अधिकार'

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। अब आपकी निजी जानकारियां सार्वजनिक नहीं हो सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि निजता मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से "राइट टू प्राइवेसी" पर अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि निजी सूचनाएं लीक नहीं की जा सकती। आधार, पैन और क्रेडिट कार्ड सार्वजनिक नहीं किए जा सकते। निजता की सीमा तय करना संभव है। इस फैसले के बाद देश की 135 करोड़ की आबादी को राइट टू प्राइवेसी का अधिकार मिल जाएगा। हो सकता है सीधे-सीधे इसका असर विभिन्न सरकारी योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ने के मामले पर पड़ेगा।

कोर्ट ने पलटा पुराना फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 50 और 60 के दशक में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलट दिया है।  50 और 60 के दशक में एम पी शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के 8 जजों और खड़क सिंह मामले में 6 जजों की बेंच कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।

दरअसल ये मामला तब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जब आधार कार्ड को तमाम जरूरी सुविधाओं के लिए अनिवार्य किया जाने लगा और निजी हाथों में भी आधार की जानकारी जाने लगी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 21 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। कोर्ट ने 2 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल 2012 में आधार कार्ड को लेकर यूपीए की सरकार को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसके बाद यह मामला 11 अगस्त 2015 को पांच जजों की पीठ को सौंप दिया गया। 1950 में 8 जजों की बेंच और 1962 में 6 जजों की बेंच ने कहा था कि "राइट टू प्राइवेसी" मौलिक अधिकार नहीं है। 

9 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट की इस 9 जजों की पीठ में CJI जेएस खेहर, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस AR बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन, जस्टिस अभय मनोगर स्प्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

 

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