मरीज विभागीय समिति से ले सकते हैं 'किडनी ट्रांसप्लांट' की अनुमति

मरीज विभागीय समिति से ले सकते हैं 'किडनी ट्रांसप्लांट' की अनुमति

Tejinder Singh
Update: 2018-04-06 14:46 GMT
मरीज विभागीय समिति से ले सकते हैं 'किडनी ट्रांसप्लांट' की अनुमति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि जिन अस्पतालों में एक साल के भीतर किडनी प्रत्यारोपण के 25 से कम मामले होते हैं, ऐसे अस्पतालों के मरीज अंग प्रत्यारोपण के लिए विभागीय स्तर पर बनाई गई कमेटी से अनुमति ले सकते है। जबकि उन अस्पतालों की अस्पताल स्तरिय कमेटी प्रत्योरापण की मंजूरी दे सकती हैं, जहा वर्षभर में 25 किडनी प्रत्यारोपण के मामले होते हैं। सरकारी वकील अभिनंदन व्यज्ञानी ने जस्टिस अभय ओक व जस्टिस रियाज छागला की बेंच के सामने यह बात कही। इस दौरान उन्होंने बेंच के सामने इस विषय पर सरकार की ओर जारी किए जाने वाले शासनादेश का एक मसौदा पेश किया।

वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील उदय वारुंजेकर ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण से जुड़ा कानून केंद्र का है। इस लिए राज्य सरकार इसमें बदलाव नहीं कर सकती। यदि राज्य सरकार को केंद्र के कानून को लागू करने में असहजता हो रही है तो वह केंद्र सरकार के पास इसके लिए आवेदन कर सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उन्ही अस्पतालों की कमेटी को किडनी प्रत्यारोपण की मंजूरी देने की अनुमति दी है, जहां पर साल भर में 25 किडनी प्रत्यारोपण किए जाते हैं। इससे कम वाले अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए कोई विकल्प नहीं बताया गया है।

एडवोकेट वारुंजेकर ने कहा कि सरकार के शासनादेश में मेडिकल टूरिज्म के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा गया है। जबकि यह बेहद महत्वपूर्ण मामला है। उन्होंने कहा कि कई बार विदेशी सिर्फ अंग प्रत्यारोपण के लिए भारतीय महिला से विवाह करते हैं। इस पर बेंच ने सरकारी वकील को कहा कि वे इस मुद्दे पर श्री वारुंजेकर के सुझावों पर भी गौर करे। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 6 सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।  
 

Similar News