ब्लू व्हेल गेम की वजह से फिर गई एक की जान, एक को बचाया गया

ब्लू व्हेल गेम की वजह से फिर गई एक की जान, एक को बचाया गया

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-03 05:19 GMT
ब्लू व्हेल गेम की वजह से फिर गई एक की जान, एक को बचाया गया

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। लंबे वक्त से ब्लू व्हेल गेम का कहर देश में जारी है। गेम की लत में आ कर कई एक टीनएज बच्चों ने सुसाइड जैसे कदम उठाएं हैं। रविवार को एक बार फिर ब्लू व्हेल ने एक की जान लेली, वहीं एक को बचा लिया गया है। पहला मामला दिल्ली का है जहां किशोर को सुसाइड की कोशिश के बाद बचा लिया गया है। वहीं गुजरात में एक युवक ने पानी डूब कर आत्महत्या कर ली।

दिल्ली में किशोर ने की सुसाइड की कोशिश
यहां चेहरे पर स्क्रैच मार्क्स के साथ एक टीनेजर लड़के को इलाज के लिए उसकी मां अस्पताल लेकर पहुंची। जांच में पता चला कि 17 साल के इस लड़के ने खुद ही अपने चेहरे पर यह निशान बनाया है। डॉक्टर को समझने में देर नहीं लगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस लड़के ने ब्लू वेल गेम के टास्क को पूरा करने के लिए अपने ज्योमेट्री बॉक्स से खुद ही अपने चेहरे पर निशान बना लिया था। गेम के 50 टास्क में से उसने कुछ टास्क पूरे भी कर लिए थे। 

अस्पताल के मनोचिकित्सक ने बताया कि जब हमने उसकी काउंसिलिंग शुरू की तो वो पहले तो कुछ बोलने से बचता रहा। लेकिन धीरे-धीरे उसने ये माना कि वो ब्लू वेल गेम खेल रहा है। लड़के ने बताया कि उसने ब्लू वेल गेम के कुछ पड़ाव भी पार कर लिए थे और गेम की वजह से ही उसने अपने चेहरे पर ये निशान बनाए है।

गुजरात में युवक ने की आत्महत्या
वहीं दूसरा मामला गुजरात के पालनपुर का है, जहां एक युवक के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। युवक ने 31 अगस्त को साबरमती नदी में कूद कर जान दे दी। पीड़ित की पहचान मालण-पालनपुर-बनासकांठा निवासी अशोक मुलाणा के रूप में हुई है। सुसाइड करने से पहले पहले उसने फेसबुक पर एक वीडियो भी पोस्ट किया। वीडियो में अशोक ने ब्लू व्हेल गेम का शिकार होने की बात कही है।

अशोक ने कहा कि "मैं जिदंगी से व्यथित हो गया हूं। ब्लू व्हेल गेम का शिकार बना हूं। इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं। मेरे परिवार के किसी व्यक्ति की कोई गलती नहीं है।" 
हालांकि, पुलिस युवक के ब्लू व्हेल गेम का शिकार होने की बात से इनकार कर रही है। मृतक अशोक के कैंसर रोगी होने की बात भी सामने आ रही है। अशोक के पिता परथीभाई और पत्नी की मौत हो चुकी है। वो चार बहनों का इकलौता भाई था और  तीन महीने से नौकरी पर नहीं जा रहा था। 

क्या है ब्लू व्हेल गेम?
आपको बता दें कि ये एक ऐसा खेल है, जिसमें पहले आसान टास्क दिए जाते हैं। फिर धीरे-धीरे टास्क कठिन कर दिए जाते हैं और अंत में ये टास्क सूइसाइड तक के रास्ते पर ले जाता है। डॉक्टर ने बताया कि कुछ ऐसे मामलों का इलाज किया गया है जिनमें टीनेजर्स छठे या सातवें चैलेंज को पूरा कर चुके थे। 

लक्षण- ऐसे बच्चे लोगों से मिलने-जुलने से कतराने लगते हैं। डरावनी फिल्में देखना ज्यादा पसंद करते हैं। धीरे-धीरे बच्चे इस गेम में फंसते जाते हैं। इनके दोस्त भी ऐसे ही बच्चे होते हैं और एक से दूसरे बच्चे तक इस गेम के बारे में बात पहुंचती है। ब्लू वेल गेम में यह जरूरी नियम होता है कि इसके बारे में किसी को बताया नहीं जाए, इसलिए बच्चे इस गेम के बारे में किसी दूसरे से कुछ शेयर नहीं करते।

बचाव- ऐसे बच्चों का बर्ताव और हरकतों में आए बदलाव से संदेह तो हो जाता है। ऐसे में पैरंट्स को उन पर नजर रखनी चाहिए। उन्हें बच्चे के कंप्यूटर की ब्राउजिंग हिस्ट्री की जांच करनी चाहिए। वहां से उन्हें यह इशारा मिल सकता है कि उनका बच्चा किस दिशा में जा रहा है। किसी भी तरह का संदेह हो तो तुरंत मनोचिकित्सक से दिखाना चाहिए। ऐसे मामलों में साइकोथेरपी, मेडिटेशन, काउंसिलिंग से मदद मिलती है। पैरंट्स को धैर्य के साथ बच्चों को समझना चाहिए और उन्हें इससे बाहर निकलने में मदद करनी चाहिए।

 

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