'तीन तलाक' पर याचिका लगाने वाली इशरत जहां बीजेपी में शामिल

'तीन तलाक' पर याचिका लगाने वाली इशरत जहां बीजेपी में शामिल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-01 02:28 GMT
'तीन तलाक' पर याचिका लगाने वाली इशरत जहां बीजेपी में शामिल

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाली इशरत जहां ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली। इस बात की जानकारी वेस्ट बंगाल यूनिट के जनरल सेक्रेटरी सायंतन बसु ने दी। बसु ने बताया कि इशरत जहां शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गई। बताया जा रहा है कि इशरत जहां को पहले पार्टी ऑफिस में सम्मानित किया गया और फिर उन्हें पार्टी में शामिल किया गया।


स्टेट लेवल का प्रोग्राम होना बाकी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वेस्ट बंगाल बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी सायंतन बसु ने बताया कि "शनिवार को इशरत जहां ने हावड़ा के पार्टी ऑफिस में पहुंचकर बीजेपी ज्वॉइन की।" इससे पहले इशरत जहां को पार्टी ऑफिस में सम्मानित किया गया और फिर पार्टी में शामिल किया गया। बसु ने बताया कि इशरत जहां को सम्मानित करने के लिए स्टेट लेवल प्रोग्राम होना अभी बाकी है।



कौन हैं इशरत जहां?

इशरत जहां वेस्ट बंगाल के हावड़ा की रहने वाली हैं। इन्होंने अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में इशरत ने कहा था कि उनके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक दे दिया। 30 साल इशरत ने इस याचिका में बताया कि उसका निकाह 2001 में हुआ था और उसके 4 बच्चे भी हैं, जो उसके पति ने जबरन अपने पास रख लिए हैं। इसमें इशरत ने मांग की थी कि उसे उसके बच्चे वापस मिलें और पुलिस सुरक्षा भी मिले। इशरत का ये भी कहना था कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। याचिका में कहा गया था कि तीन तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये फैसला

इशरत जहां और शाहबानो समेत कई महिलाओं ने तील तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 3:2 से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जहां एक तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया, वहीं मुस्लिम महिलाओं ने इसे ऐतिहासिक बताया। अगस्त महीने में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की प्रेसिडेंशियल वाली 5 जजों की बेंच ने इसे अवैध बताया। 5 में से जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने "तलाक-ए-बिद्दत" यानी तीन तलाक को अवैध करार दिया। जबकि चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने इस प्रथा पर 6 महीने तक रोक लगाने की बात करते हुए संसद से इस मसले पर कानून बनाने की बात कही थी। कोर्ट के आदेश पर हाल ही में मोदी सरकार ने लोकसभा में ट्रिपल तलाक पर बिल पेश किया है। इस बिल में ट्रिपल तलाक देने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है।

क्या है तीन तलाक का कानून?

केंद्रीय कानून मंत्री ने लोकसभा में हाल ही में तीन तलाक पर बिल पेश किया। मोदी सरकार ने "द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट" नाम से इस बिल को पेश किया है। कानून बनने के बाद यह सिर्फ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। बिल में कहा गया है कि अगर कोई पति तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर डिवोर्स लेता है तो फिर इसे गैर जमानती अपराध माना जाएगा और आरोपी को 3 साल की जेल की सजा होगी। इसमे जुर्माने का प्रावधान भी है। मजिस्ट्रेट इस बात को तय करेंगे की आरोपी पर कितना जुर्माना लगाना है।

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