गंगा पर सरकार की बेरुखी से खफा, 'सफाई नहीं तो आमरण अनशन'

गंगा पर सरकार की बेरुखी से खफा, 'सफाई नहीं तो आमरण अनशन'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-06 03:14 GMT
गंगा पर सरकार की बेरुखी से खफा, 'सफाई नहीं तो आमरण अनशन'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने ऐलान किया है कि यदि गंगा स्वच्छता से जुड़ी योजनाएं अगले साल अक्टूबर तक नहीं शुरू हुईं तो वह आमरण अनशन की शुरुआत करेंगी। उमा भारती ने गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में यह बात कही है। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में सितंबर में फेरबदल के बाद गडकरी को जल संसाधन मंत्रालय का कार्यभार सौंपने से पहले यह मंत्रालय उमा भारती के ही पास था।

 

तीन साल बाद भी नहीं साफ हुई गंगा

बता दें कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट से पूरे देश में गंगा के स्वच्छ और निर्मल होने की उम्मीदें जगी थी। हालांकि तीन साल गुजर जाने के बाद भी न तो गंगा साफ हुई और न साफ किए जाने के लिए कोई कड़े कदम उठाए गए। कुछ दिन गंगा सफाई के लिए अभियान जरूर चलाए गए। बता दें कि पहले गंगा साफ करने का जिम्मा उमा भारती को ही मिला था। 

 

अब नितिन गडकरी के पास जिम्मा


उमा भारती ने इसी सिलसिल में कहा कि "मैं गंगा से जुड़ी योजना अक्टूबर, 2018 तक लागू होते हुए देखना चाहती हूं, मैं यह नहीं कह रही हूं कि मैं योजनाओं का पूर्ण क्रियान्वयन देखना चाहती हूं, लेकिन उसे शुरू होते हुए या फिर आधे सफर तक पहुंच चुका देखने की इच्छा है।" उमा भारती ने नितिन गडकरी की प्रशंसा करते हुए कहा कि गंगा की साफ-सफाई काम सही व्यक्ति के हाथ में सौंपा गया है। बता दें कि नरेद्र मोदी के पीएम बनने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि अविरल गंगा को लेकर केवल कागजों पर चल रहे भगीरथ प्रयास अब जमीन पर उतरेंगे।

 

20 हजार करोड़ का बजट हुआ था पास

नामामि गंगे योजना की शुरुआत करने के बाद सरकार इस दिशा में संजीदा भी दिखाई दी, लेकिन कोई खास काम नहीं हो सकता। कहा जा रहा है कि गंगा से जुड़ी योजनाओं को लेकर मोदी उमा भारती के काम से संतुष्ट नहीं थी। बता दें कि जून 2014 में गंगा सफाई के लिए 20 हजार करोड़ का बजट पास किया गया था। अब उमा भारती ने आमरण अनशन की धमकी देकर इस मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरने की कोशिश की है।

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