उप्र : बुंदेलियों ने मनाई बुंदेलखंड केसरी की जयंती

उप्र : बुंदेलियों ने मनाई बुंदेलखंड केसरी की जयंती

IANS News
Update: 2019-12-25 16:01 GMT
उप्र : बुंदेलियों ने मनाई बुंदेलखंड केसरी की जयंती

महोबा, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर 546 दिनों से अनशन पर बैठे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर बुंदेलखंडी और उनके सहयोगियों ने अनशन स्थल पर ही बुधवार को बुंदेलखंड केसरी दीवान शत्रुघ्न सिंह की 118वीं जयंती मनाई और उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर बुंदेलखंडी ने कहा, आजादी की लड़ाई में यूं तो बुंदेलखंड में बहुत लोगों ने कुर्बानियां दी हैं, लेकिन दीवान शत्रुघ्न सिंह का योगदान सबसे ज्यादा अविस्मरणीय रहा है।

उन्होंने कहा, 25 दिसम्बर, 1901 में मझगवां थाना क्षेत्र के मंगरौठ में जन्मे दीवान शत्रुघ्न सिंह ने बुंदेलखंड में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन व अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की अगुवाई की। उनके पिता दीवान सुदर्शन सिंह बड़े जमींदार थे। क्रांतिकारी पंडित परमानंद के संपर्क में आने के बाद वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। वर्ष 1921 में स्वयंसेवकों की भर्ती व सत्याग्रह करने पर उनको जेल भेज दिया गया था और उनकी पत्नी राजेंद्र कुमारी ने भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में उनका कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया।

जिला अधिवक्ता समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रभात सुल्लेरे ने कहा, आचार्य विनोवा भावे के भूदान आंदोलन से दीवान शत्रुघ्न सिंह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी पूरी जमीन दान दे दी थी। वह आंदोलन में अपने साथियों को पूरी आर्थिक मदद भी करते थे।

उल्लेखनीय है कि शत्रुघ्न सिंह की पत्नी को 1930 में ढाई साल के बच्चे को लेकर जेल जाना पड़ा था। दीवान ने मंगरौठ में खादी आश्रम, कालपी में हिन्दी भवन समेत कई शिक्षण संस्थानों की नींव रखी। दीवान शत्रुघ्न सिंह ने 1939 में बुंदेलखंड केसरी नामक साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया था।

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