व्यापमं घोटाला : आरक्षक भर्ती परीक्षा में 31 दोषी, सजा का ऐलान 25 नवंबर को

व्यापमं घोटाला : आरक्षक भर्ती परीक्षा में 31 दोषी, सजा का ऐलान 25 नवंबर को

IANS News
Update: 2019-11-21 16:00 GMT
व्यापमं घोटाला : आरक्षक भर्ती परीक्षा में 31 दोषी, सजा का ऐलान 25 नवंबर को

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की ओर से वर्ष 2013 में आयोजित आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 31 लोगों को दोषी माना है। इस मामले में सजा का ऐलान 25 नवंबर को किया जाएगा। सभी दोषियों को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

दोषी करार दिए गए 31 लोगों में 7 बिचौलियें और 12 आवेदक है। इनमें से छह को भोपाल और दतिया से गिरफ्तार किया गया था। आरक्षक भर्ती मामले की पहली प्राथमिकी इंदौर के राजेंद्र नगर थाने में दर्ज की गई थी। उसके बाद यह मामला एसटीएफ और फिर सीबीआई के पास पहुंचा। 

व्यापम में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने का काम करता था। तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान ने इस मामले को अगस्त, 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया था।

बाद में उच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और उसने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल, 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा। नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की।

तत्कालीन सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ़ पी़ शुक्ला, भाजपा नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापम के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिंद्रा जेल जा चुके हैं।

यह बड़ा चर्चित मामला रहा है, जिसमें लगभग ढाई हजार को आरोपी बनाया गया, इनमें से कुल 2100 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं, इससे जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में एक निजी समाचार चैनल के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह भी शामिल हैं।

इस मामले में गवाही वर्ष 2014 से शुरू हुई और पांच साल तक गवाही चली। अभियोजन पक्ष ने दोषियों को सजा दिलाने के लिए 91 गवाहों और सबूतों को कोर्ट में पेश किया। दोषी करार दिए गए सभी लोगों पर आईपीसी की धाराओं 419, 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया था।

बता दें कि व्यापमं की शुरुआत जनवरी, 1970 में हुई थी। इसे पहले प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड के नाम से जाना जाता था।  उस दौरान इसका गठन मेडिकल परीक्षाओं के आयोजन करने के लिए किया गया था। 1981 में गठित प्री-इंजिनियरिंग बोर्ड को प्री-मेडिकल बोर्ड के साथ 1982 में मिला दिया गया। दोनों को मिलाकर व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल का गठन किया गया। यह बोर्ड और भी शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए परीक्षाएं आयोजित करता था। अब इसका नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया है।

 

 

 

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