हमने इंदिरा-राजीव को खो दिया लेकिन आतंक पर समझौता नहीं किया: दिग्विजय सिंह

हमने इंदिरा-राजीव को खो दिया लेकिन आतंक पर समझौता नहीं किया: दिग्विजय सिंह

ANI Agency
Update: 2019-08-02 08:31 GMT
हमने इंदिरा-राजीव को खो दिया लेकिन आतंक पर समझौता नहीं किया: दिग्विजय सिंह
हाईलाइट
  • राज्यसभा में शुक्रवार को UAPA बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह और दिग्विजय सिंह के बीच नोंकझोंक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को UAPA बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के बीच नोंकझोंक देखने को मिली। दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर आतंकवाद से समझौता करने का आरोप लगाते हुए कहा, हमने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और बेअंत सिंह को खो दिया, लेकिन हमने आतंकवाद पर कभी समझौता नहीं किया। दिग्विजय सिंह ने आशंका जताई कि बिल का दुरुपयोग कर उन्हें आतंकी घोषित कर दिया जाएगा। इस पर गृहमंत्री अमित शाबह ने जवाब दिया, अगर वह (दिग्विजय सिंह) कुछ नहीं करेंगे तो उन्हें कुछ नहीं होगा।

दरअसल राज्यसभा में शुक्रवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) संशोधन बिल 2019 पास हो गया है। बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े। अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद ये बिल कानून बन जाएगा। इस बिल के लागू होने के बाद केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और सरकार को संगठन के साथ किसी भी व्यक्ति को आतंकी संगठन घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार होगा। इस बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह के बीच नोंकझोंक देखने को मिली। 

बता दें कि, संशोधित बिल में सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया है। इसके लेकर दिग्विजय ने कहा, हमें बीजेपी की मंशा पर संदेह है। कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया। इसीलिए यह कानून लेकर आए थे। आतंकवाद से समझौता करने वाले आप लोग हैं। बीजेपी सरकार ने ही पहले रुबैया सईद और फिर मसूद अजहर को छोड़ा था।  

दिग्विजय सिंह को जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा, इमरजेंसी के दौरान क्या हुआ था? मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया और विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था। 19 महीने तक देश में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया और अब कांग्रेस हम पर कानून के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है। जब हम विपक्ष में थे तो 2004, 2008 और 2013 में हमने यूपीए सरकार के यूएपीए बिल को समर्थन दिया था। क्योंकि हमें लगता था आतंकवाद से लड़ने के लिए यह जरूरी था।

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