मौसम: भीषण गर्मी से बेहाल हुए लोग अब मानसून का इंतजार

मौसम: भीषण गर्मी से बेहाल हुए लोग अब मानसून का इंतजार

Manmohan Prajapati
Update: 2019-06-07 05:27 GMT
हाईलाइट
  • अरब सागर के ऊपर कम दबाव वाला क्षेत्र बनने की संभावना है
  • उत्तरपश्चिम भारत में मानसून के दौरान सामान्य बारिश की संभावना
  • दिल्ली में मानसून आने में करीब एक सप्ताह का विलंब हो सकता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में इन दिनों भीषण गर्मी का कहर जारी है, ऐसे में लोगों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। सुबह 10 बजे के बाद ही तेज गर्म हवाओं का दौर शुरु हो जाता है, ऐसे में लोगों का घर से बाहर निकलना भी दूभर हो चला है। वहीं मानसून समय पर ना आने से समस्या और भी बढ़ गई है। बता दें कि भारतीय मौसम विभाग ने 7 जून तक मानसून आने की बात कही थी, लेकिन अब तक मानसून की कोई खबर नहीं है। 

हालांकि केरल में प्री मानसून आने से थोड़ी राहत है, मौसम विभाग ने मानसून के दिल्ली में आगमन में दो-तीन दिनों की देरी की आशंका जताई है। हालांकि शहर में बारिश के सामान्य रहने का अनुमान है। वहीं मौसम की जानकारी देने वाली प्राइवेट कंपनी स्काईमेट वेदर ने के अनुसार मानसून के दिल्ली आने में कम से कम एक सप्ताह का विलंब हो सकता है। 

दिल्ली में देरी से आएगा मानसून
आपको बता दें ​कि इससे पहले मौसम विभाग ने कहा था कि मानसून आने में और देरी हो सकती है तथा यह आठ जून तक ही केरल के तट पर पहुंचेगा। विभाग के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान अधिकारी के अनुसार सामान्य रूप से, मानसून 29 जून तक दिल्ली पहुंचता है। चूंकि इसके दक्षिणी भाग में पहुंचने में देरी हो रही है, इसलिए मानसून के उत्तरपश्चिम भारत तक पहुंचने में दो तीन दिन ज्यादा लग सकते हैं।

विभाग के अनुसार अच्छी खबर यह है कि मानसून की प्रगति में सहायक दक्षिण पश्चिमी हवाएं तथा सोमाली जेट स्ट्रीम जैसे कारक धीरे-धीरे सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे में उत्तरपश्चिम भारत में मानसून सत्र के दौरान सामान्य स्तर की बारिश होने की संभावना है।

मानसून की प्रगति प्रभावित
मानसून की शुरुआत होने पर, अरब सागर के ऊपर कम दबाव वाला क्षेत्र बनने की संभावना है और यह धीरे धीरे बढ़ सकता है। जब भी इस तरह की गहन मौसम प्रणाली बंगाल की खाड़ी या अरब सागर के ऊपर विकसित होती है, आर्द्रता पूर्ण हवाएं इसके आस पास एकत्रित होने लगती है जिससे मानसून की प्रगति प्रभावित होती है। इसलिए, अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र बनने से मानसून की गति धीरे रहेगी। 
 

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