दिल्ली हिंसा: दंगे से शादी की तारीख टली, मुस्लिमों की मदद से पड़ोस में हुआ हिंदू दुल्हन का विवाह

दिल्ली हिंसा: दंगे से शादी की तारीख टली, मुस्लिमों की मदद से पड़ोस में हुआ हिंदू दुल्हन का विवाह

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-28 04:06 GMT
दिल्ली हिंसा: दंगे से शादी की तारीख टली, मुस्लिमों की मदद से पड़ोस में हुआ हिंदू दुल्हन का विवाह
हाईलाइट
  • ऐसी परिस्तिथि में उनके मुस्लिम पड़ोसी परिवार उनके साथ खड़े मिले
  • जिस दिन बारात आनी थी उसी दिन घर के बाहर हिंसा भड़क गई
  • दिल्ली के चांद बाग में एक संकरी गली में रहता है परिवार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के कुछ इलाकों में पिछले कुछ दिनों से चल रही हिंसा के बीच मुस्लिम बहुल इलाके में रहने वाले एक हिंदू परिवार को अपनी बेटी का विवाह रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। रायटर्स की खबर के मुताबिक, दिल्ली के चांद बाग में एक संकरी गली में रहने वाली 23 वर्षीय सावित्री प्रसाद ने कहा कि वह हाथों में मेहंदी लगाए, पूरी तरह से सज-धज कर शादी के लिए बैठी थी, लेकिन जिस दिन बारात आनी थी उसी दिन उसके घर के बाहर हिंसा भड़क गई। लेकिन सावित्री के पिता ने अगले दिन के लिए शादी का आयोजन किया। 

सावित्री के पिता ने कहा कि ऐसी परिस्तिथि में उनके मुस्लिम पड़ोसी परिवार उनके साथ खड़े मिले, जब उन्हें सबसे ज्यादा इसकी जरूरत थी। सावित्री का कहना है कि मेरे मुस्लिम भाई आज मेरी रक्षा कर रहे हैं, वह अपने परिवार और पड़ोस वालों की बात करके बार बार रोने लगती है। सावित्री का विवाह उसके विवाह घर पर हुआ था।

उसके घर से देखने पर सामने मुख्य सड़क का नजारा एक युद्ध क्षेत्र की तरह दिखता है, वाहन, कारों और दुकानों में आग लगा दी गई है। बता दें कि दिल्ली हिंसा में अब तक अलग-अलग इलाकों में 38 लोगों की जान चली गई है जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं।

सावित्री के पिता से बात करने पर उन्होंने कहा कि जब हम हम छत पर गए तो हमें बस धुआं ही धुंआ दिख रहा था। उन्होंने कहा कि यह बहुत भयानक मंजर था। हम बस शांति से रहना चाहते हैं।

सावित्री के पिता भोदय प्रसाद ने कहा कि वह वर्षों से इस इलाके में बिना किसी परेशानी के मुसलमानों के साथ रह रहे हैं, वह आगे भी ऐसे ही रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं, लेकिन वे मेरे पड़ोसी नहीं हैं। यहां हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है।

सावित्री के घर के बाहर कई अन्य पुरुषों के साथ खड़े आमिर मलिक ने कहा, "हम अपने हिंदू भाइयों के साथ शांति से रहते हैं, हम उनके लिए सब कुछ हैं। हम उनके लिए यहां खड़े हैं।"

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