महिलाओं व अर्ध शहरी क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को गंवानी पड़ी सबसे अधिक नौकरी

महिलाओं व अर्ध शहरी क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को गंवानी पड़ी सबसे अधिक नौकरी

IANS News
Update: 2020-05-16 16:00 GMT
महिलाओं व अर्ध शहरी क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को गंवानी पड़ी सबसे अधिक नौकरी

नई दिल्ली , 16 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान देश में कुल आबादी के 24.7 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है या वह नौकरी से निकाल दिए गए हैं। यह आंकड़ा आईएएनएस- सी वोटर कोविड-19 ट्रैकर में सामने आया है।

अर्ध शहरी क्षेत्रों में कुल आबादी के हिसाब से 28.5 प्रतिशत लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। वहीं अगर घरों के भीतर नौकरी के बारे में लोगों से पूछा गया, तो यह संख्या 36.2 प्रतिशत हो गई। अधिक कारखानों और औद्योगिक इकाइयों के अर्ध शहरी क्षेत्रों में होने के कारण नौकरी के नुकसान का प्रभाव यहां पूरे चरम पर देखा जा सकता है।

वहीं एक ओर दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है कि महिलाओं ने पुरुष समकक्षों की तुलना में अधिक नौकरी खोई है। कुल जनसंख्या के हिसाब से देखें तो 23.3 प्रतिशत पुरुष और 26.3 प्रतिशत महिला कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

आईएएनएस- सी वोटर कोविड-19 ट्रैकर में पता चला है कि जब घर के भीतर लोगों के साथ नौकरी की बात आती है तो 30.9 प्रतिशत पुरुष और 34.8 प्रतिशत महिला कर्मचारियों की नौकरी चली गई है।

मध्यम आयु वर्ग के लोगों को नौकरी का सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा है। जब घ?ों में काम करने बारे में सवाल पूछा गया तो पता चला कि 45 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के बीच 40.7 प्रतिशत लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है।

पूरी आबादी में सबसे कम आय वर्ग के 26.5 प्रतिशत लोगों ने अपनी नौकरी खो दी, जबकि मध्यम आय और उच्च आय वाले समूहों की संख्या क्रमश: 23.1 प्रतिशत और 22.5 प्रतिशत रही।

इसी तरह जो वर्ग कम पढ़ा-लिखा है, उसे सबसे अधिक नौकरी का नुकसान झेलना पड़ा है। कुल आबादी में 27.6 प्रतिशत कम शिक्षित लोग नौकरी से बाहर हुए हैं, जबकि उच्च शिक्षित केवल 14.2 प्रतिशत लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।

अगर समुदाय के तौर पर देखा जाए तो कुल आबादी के 30.2 प्रतिशत मुसलमानों ने अपनी नौकरी खो दी।

इस बीच कुल आबादी के 18.0 प्रतिशत लोगों ने किसी न किसी तरह से वेतन कटौती या आय की हानि का सामना करना पड़ रहा है। वेतन में कटौती की बात करें तो महिला और पुरुष दोनों लगभग समान रूप से प्रभावित हुए हैं।

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