सबरीमाला : विरोधियों के खिलाफ केरल सरकार बनाएगी 600 किमी लंबी महिला श्रृंखला
सबरीमाला : विरोधियों के खिलाफ केरल सरकार बनाएगी 600 किमी लंबी महिला श्रृंखला
- कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक यह श्रंखला बनेगी।
- केरल सरकार अब सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने वालों के खिलाफ 1 जनवरी को 600 किमी लंबी महिला श्रृंखला बनाएगी।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का मामला अब तक थमा नहीं है।
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का मामला अब तक थमा नहीं है। केरल सरकार अब सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने वालों के खिलाफ 1 जनवरी को 600 किमी लंबी महिला श्रृंखला बनाएगी। कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक यह श्रंखला बनेगी। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करने वाले 50 से ज्यादा सामाजिक संगठनों के साथ बैठक की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।
विजयन ने कहा, हम केरल के प्रगतिशील समाज को अंधेरे में नहीं धकेल सकते। उन्होंने कहा, बैठक में 150 सामाजिक संगठनों को बुलाया गया था। इन संगठनों ने सबरीमाला मुद्दे पर हमारे राज्य सरकार को अपना समर्थन दिया है। विजयन ने ये बैठक बीजेपी और आरएसएस की और से लगातार हो रहे विरोध के बाद बुलाई थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को आदेश दिया था कि हर उम्र की महिला सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए जा सकती है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस इसका विरोध कर रहे हैं। मंदिर के दरवाजे खुलने से तीन दिन पहले 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने सितंबर के आदेश पर रोकर लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। मंदिर के इस नियम के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। इस याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई कर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सही माना था। इसके बाद केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी और बाद में इसे संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। CJI की अध्यक्षता में संवैधानिक बेंच ने इस याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर 17 जुलाई से 1 अगस्त तक लगातार सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला दिया था।