दुती चंद ने समलैंगिक होने की बात स्वीकारी, बहन बोली - जेल भिजवा दूंगी

दुती चंद ने समलैंगिक होने की बात स्वीकारी, बहन बोली - जेल भिजवा दूंगी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-19 16:53 GMT
दुती चंद ने समलैंगिक होने की बात स्वीकारी, बहन बोली - जेल भिजवा दूंगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की सबसे तेज महिला एथलीट दुती चंद ने कहा है कि वह होमोसेक्सुअल हैं। उन्होंने अपने जीवनसाथी का खुलासा करते हुए कहा कि वह अपने शहर की ही एक महिला मित्र के साथ रिलेशनशिप में हैं। 100 मीटर स्प्रींट में नेशनल रिकॉर्ड होल्डर और 2018 एशियन गेम्स में सिल्वर मेडलिस्ट दुती चंद पहली भारतीय स्पोर्ट्स स्टार हैं, जिन्होंने सेम-सेक्स में दिलचस्पी होने की बात स्वीकार की है। हालांकि 23 साल की दुती ने अपनी साथी का नाम नहीं बताया। दुती ने इसी के साथ अपनी बड़ी बहन पर उन्हें धमकी देने का भी आरोप लगाया है।

दुती अगले साल होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप और टोक्यो ओलंपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। एक इंटरव्यू के दौरान दुती ने कहा, मुझे कोई ऐसा मिला है, जो मुझे लगता है कि मेरी जीवनसाथी है। मेरा मानना ​​है कि हर किसी को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह जिसके साथ भी रहना चाहें रह सकते हैं और अपना पार्टनर चुन सकते हैं। मैंने हमेशा उन लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है जो कि समलैंगिक हैं। यह सबकि व्यक्तिगत पसंद है। फिलहाल मेरा ध्यान वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक खेलों पर है, लेकिन भविष्य में मैं उसके साथ घर बसाना चाहूंगी।

दुती ने अपनी बहन पर आरोप लगाते हुए कहा, मेरे माता-पिता ने अभी तक मेरे समलैंगिक होने पर कोई आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन मेरी सबसे बड़ी बहन ने मुझे न केवल परिवार से भगा देने की धमकी दी है, बल्कि यह भी कहा है कि वह मुझे जेल भेज देगी। मेरी सबसे बड़ी बहन को लगता है कि मेरी पार्टनर को मेरी संपत्ति में दिलचस्पी है। उसने मुझसे कहा है कि वह मुझे इसके लिए जेल भेज देगी। वह कहती है कि तुम्हारी पार्टनर जिससे चाहे उससे शादी कर सकती है, लेकिन मुझसे नहीं।

दुती ने कहा, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता पर निर्णय ने उन्हें हिम्मत दी है कि वह यह बात स्वीकार सकें। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ऐतिहासिल फैसला लेते हुए IPC की धारा 377 को गैरअपराधिक करार दिया था। मैंने हमेशा माना है कि हर किसी को प्यार करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। प्यार से बड़ा कोई जज्बा नहीं है और इसे नकारा नहीं जाना चाहिए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी पुराने कानून को खत्म कर दिया है। मुझे लगता है कि बतौर ऐथलीट किसी को भी मुझे लेकर अपनी राय बनाने का हक नहीं है। यह मेरा निर्णय है कि मैं उसके साथ हूं, जिसके साथ मैं रहना चाहती हूं। यह एक निजी निर्णय है, जिसका सम्मान होना चाहिए। 

दुती ने कहा, मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए पदक जीतने का प्रयास जारी रखूंगी। यह मेरा सपना था कि मैं किसी ऐसे व्यक्ति को खोजूं जो जीवन भर मेरे साथ रहे। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना चाहती थी, जो मुझे एक खिलाड़ी के रूप में प्रोत्साहित करे। मैं पिछले 10 वर्षों से एक स्प्रिंटर हूं और अगले पांच से सात वर्षों तक शायद इसे ही अपना जीवन बनाऊं। मैं कॉम्पिटिशन के लिए दुनिया भर में यात्रा करती हूं। यह आसान नहीं है। इसके लिए मुझे किसी का सहारा भी चाहिए।

बता दें कि दुती ओडिशा के चाका गोपालपुर गांव से आती हैं और जाजपुर जिले में उनके माता-पिता बुनकर हैं। वह देश की कई महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। भारत की यह स्टार स्प्रिंटर 100 मीटर, 200 मीटर और 4x100 मीटर दौड़ में हिस्सा लेती हैं। दुती ने इससे पहले हाइपरएंड्रोजेनिज्म पर इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (IAAF) के नियमों के खिलाफ आवाज भी उठाई थी। यह नियम महिला एथलीटों के टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर ट्रैक और फील्ड इवेंट में उनके भाग लेने या न लेने पर असर डालता था। खुद दुती भी इसकी भुक्तभोगी रह चुकी हैं। 2014 में टेस्टोस्टेरोन-कैप नियमों में फेल होने के बाद दुती को भारत की कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम से हटा दिया गया था। IAAF ने पिछले साल नियमों को वापस ले लिया, जिसके बाद दुती को 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट प्रतियोगित में दौड़ने की अनुमति मिली।


 

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