निधन: नहीं रहे ओलपिंक गोल्ड मेडलिस्ट केशव दत्त, 95 की उम्र में ली आखिरी सांस

निधन: नहीं रहे ओलपिंक गोल्ड मेडलिस्ट केशव दत्त, 95 की उम्र में ली आखिरी सांस

Bhaskar Hindi Desk
Update: 2021-07-08 06:41 GMT
निधन: नहीं रहे ओलपिंक गोल्ड मेडलिस्ट केशव दत्त, 95 की उम्र में ली आखिरी सांस
हाईलाइट
  • 1948 और 1952 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा थे दत्त
  • 2019 में उन्हें मोहन बागान रत्न के खिताब से नवाजा गया था
  • दत्त हॉकी के अलावा बैडमिंटन के भी बेहतरीन खिलाड़ी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हॉकी में भारत के स्वर्णीम युग का हिस्सा रहे केशव दत्त का बुधवार को उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह 95 साल के थे। पूर्व सेंटर हॉफ-बैक ने अपने निवास स्थान कोलकाता के संतोषपुर में बुधवार को करीब 12.30 बजे आखिरी सांस ली। हॉकी बंगाल (एचबी) के एक अधिकारी ने कहा कि दत्त का अंतिम संस्कार उनकी बेटी अंजलि के कुछ दिनों में विदेश से आने के बाद किया जाएगा।

केशव दत्त उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1948 और 1952 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक थी जब भारतीय हॉकी टीम ने 1948 ओलंपिक में मेजबान ब्रिटेन को लंदन के विंबली स्टेडियम में  4-1 से मात देकर आजादी के बाद पहला स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। इसके बाद 1952 हेलसिंकि ओलंपिक में नीदरलैंड को 6-1 से हराकर लगातार पाचवीं बार और आजादी के बाद दूसरी बार स्वर्ण पदक जीता था।

29 दिसंबर 1925 को लाहौर में जन्में दत्त ने ओलंपिक से पहले, 1947 में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में पूर्वी अफ्रीका का दौरा किया था।

दत्त विभाजन के बाद भारत चले आए थे जहां वह बॉम्बे और फिर बंगाल से खेले। हाफ बैक के रूप में, उन्होंने 22 मैच खेले और दो गोल किए। ध्यानचंद ने अपनी ऑटोबायोग्राफी "गोल" में केशव दत्त को उस समय का एक बेहतरीन हॉफ-बैक बताया है।

1949 में, दत्त को हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के खिलाफ खेलने का सम्मान मिला, जिन्होंने यहां दो प्रदर्शनी मैचों में शेष भारत टीम का नेतृत्व किया था।

केशव दत्त के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्टीट कर शोक व्यक्त किया, उन्होंने लिखा, "हॉकी की दुनिया ने आज अपने एक सच्चे दिग्गज को खो दिया। केशव दत्त के निधन से दुखी हूं। वह दोहरा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता, 1948 और 1952 थे। भारत और बंगाल के एक चैंपियन। उसके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं।"

भारतीय टीम के अभिन्न अंग, दत्त ने मोहन बागान हॉकी टीम की भी कप्तानी की। वह 1951-1953 और फिर 1957-1958 में मोहन बागान के कप्तान रहे थे। मोहन बागान के खिलाड़ी के रूप में उन्होंने 10 साल की अवधि में छह बार हॉकी लीग और तीन बार बीटन कप जीता।

उनके निधन पर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोम्बाम ने शोक जाहिर करते हुए कहा,"आज सुबह महान हाफबैक केशव दत्त के निधन के बारे में सुनकर हम सभी बहुत दुखी हैं। वह 1948 और 1952 के ओलंपिक खेलों के एकमात्र जीवित सदस्य थे और आज वास्तव में एक युग के अंत की तरह महसूस कर रहे हैं। हम सभी ओलंपिक में स्वतंत्र भारत के लिए उनकी यादगार यात्राओं की अविश्वसनीय कहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं और वे पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे हैं। फेडरेशन की ओर से मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।।"

2019 में उन्हें मोहन बागान रत्न के खिताब से नवाजा गया था, इस अवॉर्ड को प्राप्त करने वाले वह पहले नॉन-फुटबॉलर थे।

दत्त हॉकी के अलावा बैडमिंटन के भी बेहतरीन खिलाड़ी थे, वह अपने समय के बंगाल के नं-1 खिलाड़ी रहे थे।
 

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