13 साल की उम्र में पिता को खोया, फिर भी हार नहीं मानी, खेती करते हुए कुश्ती की दुनिया में छाई 

13 साल की उम्र में पिता को खोया, फिर भी हार नहीं मानी, खेती करते हुए कुश्ती की दुनिया में छाई 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-01 10:09 GMT
13 साल की उम्र में पिता को खोया, फिर भी हार नहीं मानी, खेती करते हुए कुश्ती की दुनिया में छाई 
हाईलाइट
  • मेरठ की पहलवान शीतल तोमर
  • परिवार की एक मात्र पहलवान बेटी ने देश-दुनिया में मेरठ का नाम रोशन किया है।
  • शीतल ने कक्षा 11वीं में कुश्ती के दांवपेंच सीखना शुरू किया

 डिजिटल डेस्क (भोपाल)।  कुश्ती की दुनिया का एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं शीतल तोमर।  मेरठ के एक छोटे से गांव से आई लड़की ने आज अपने दम पर विदेशों में धूम मचा कर रखी है। कुश्ती में वह अब तक कई नेशनल और इंटरनेशनल पदक जीत चुकी हैं। उब उनका लक्ष्य ओलंपिक में मेडल जीतना है। वह कहती हैं कि पिताजी दिवंगत सोमपाल सिंह तोमर का सपना था कि मैं कुश्ती में देश का नाम रोशन करूं। मुझे कुश्ती सिखाने पर पिताजी को गांव के लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा।  

शीतल कहती हैं कि 13 साल की उम्र में ही पिताजी का निधन हो गया। उनके जाने के बाद एक समय तो लगा कि अब वह कुश्ती में अपना कैरियर नहीं बना पाएंगी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और परिवार के साथ खेती संभालते हुए गांव से कई किलोमीटर दूर जाकर अभ्यास किया। 

इन दिनों शीतल जयपुर में प्लाटून कमांडर की पोस्ट पर कार्यरत हैं। इन दिनों अपने गांव पचगांव से ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं। वह सुबह पांच बजे गांव से मेरठ पहुंचकर देर शाम तक अभ्यास करती हैं। शीतल ने सब जूनियर नेशनल और जूनियर एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। वह 2019 में साउथ एशियन गेम्स एवं ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 

शीतल राजस्थान पुलिस में सब-इस्पेक्टर हैं। शीतल ने साबित कर दिया है कि महिलाएं भी कामयाब हो सकती हैं, ये देखकर कई लड़कियों को प्रेरणा मिलेगी और कई पुरुष औरतों को सम्मान दे पाएंगे।

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