लोकसभा चुनाव 2024: 'यूपी के लड़कों' पर भारी पड़ेगी 'बुआ' की रणनीति! बसपा के चुनाव लड़ने से कांग्रेस-सपा को होगा कितना नुकसान?

  • यूपी में सपा और कांग्रेस एक साथ लड़ रही है चुनाव
  • बसपा के अकेले चुनाव लड़ने के चलते होगा त्रिकोणीय मुकाबला
  • बीजेपी को हो सकता है फायदा

Dablu Kumar
Update: 2024-02-22 12:34 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। यहां की मौजूदा सियासी हालात को देखे तो सूबे में बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है। वहीं, बीजेपी यूपी में क्लीन स्वीप की रणनीति से चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की रालोद और पूर्वी यूपी में ओम प्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल बीजेपी का साथ देने के लिए तैयार बैठी हैं।

सपा-कांग्रेस ने तेज की तैयारी

80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 17 और सपा 63 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। इन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर भी फाइनल मुहर लग गई है। बीजेपी को रोकने के लिए सपा-कांग्रेस लगातार प्रयास कर रही है। जहां यूपी में इस वक्त राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जारी है तो वहीं, सपा अपने उम्मीदवार को धीरे-धीरे यूपी की लोकसभा सीटों पर उतार रही है। ताकि, लोकसभा चुनाव नजदीक आते-आते क्षेत्र में पार्टी के उम्मीदवार अपनी पकड़ को मजबूत कर सकें। सपा के प्रत्याशी अभी से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। 

कांग्रेस की कोशिश थी कि गठबंधन में मायावती की भी पार्टी को शामिल किया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि, बसपा को शामिल करते करते कांग्रेस और सपा ने  रालोद को भी गंवा दिया।

गठबंधन की अटकलों पर मायावती कई बार कह चुकी हैं कि उनकी पार्टी को गठबंधन से कोई फायदा नहीं हुआ है। बसपा के इंडिया गठबंधन में नहीं शामिल होने से यूपी में चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। राजनीति जानाकारों का मानना है कि यूपी में मामला त्रिकोणीय होने से बीजेपी को फायदा हो सकता है। इस के पीछे राजनीति जानकार तर्क देते हुए बताते हैं कि यूपी की कई सीटों पर सपा-कांग्रेस को बसपा नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि, यूपी कई सीटों पर दलित समुदाय का दबदबा है।

खेल खराब करने लिए तैयार बैठी है बसपा

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सपा-बसपा और रालोद गठबंधन करके चुनाव लड़ी थीं। इस दौरान मोदी लहर होने के बावजूद भी एनडीए गठबंधन को उत्तर प्रदेश में 64 सीटें मिली थीं। वहीं, बसपा को 10 और सपा को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में सबसे खराब प्रदर्शन किया। कांग्रेस यूपी में रायबरेली सीट को छोड़कर एक भी सीट नहीं जीत पाई। इस सीट से सोनिया गांधी लोकसभा चुनाव लड़ी थीं। खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अमेठी से चुनाव हार गए थे। इस सीट पर बीजेपी की ओर से स्मृति इरानी ने जीत हासिल की। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को प्रदेश में 73 सीटें मिली थीं। वहीं, साल 2019 के चुनाव में बसपा और सपा के एक साथ आने से मोदी लहर होने के बावजूद भी एनडीए को 9 सीटें कम मिली थी। 

माना जा रहा है कि कांग्रेस-सपा के एक साथ आने से इंडिया गठबंधन को जरूर कुछ सीटों का फायदा हो सकता है। लेकिन, बसपा इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ने के लिए तैयार बैठी है। 

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