सरकार का हाथ बेखौफ मुख्तार: कर्फ्यू में जीप लेकर मशीनगन के साथ घूमता था मुख्तार अंसारी, डीएसपी ने किया गिरफ्तार तो देना पड़ा इस्तीफा

  • मुख्तार को मिला था मुलायम का समर्थन
  • मुख्तार अंसारी ने जब खुली जीप में शहर में लहराया था राइफल
  • सरकार के दबाव पर दस दिन में डीएसपी को देना पड़ा था इस्तीफा

Dablu Kumar
Update: 2024-03-29 14:06 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी की यह कहानी साल 2004 की है। जब मऊ दंगों के दौरान कर्फ्यू लागू था और माफिया मुख्तार अंसारी खुली जीप में मशीनगन लहराया करता था। ऐसा उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार का संरक्षण प्राप्त था। इसलिए कोई भी पुलिस अधिकारी उसे धर दबोचने की हिम्मत नहीं करता था। असल में तब मुख्तार ने एक साल पहले ही मुलायम सिंह यादव को अपना समर्थन देकर उनकी सरकार गिरने से बचाई थी। तब से वह मुलायम सिंह का करीबी हो गया था और इसका फायदा उठा कर मुख्तार गलत कामों को अंजाम देता रहा।

डीएसपी को 10 दिन के अंदर देना पड़ा इस्तीफा

डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने जनवरी 2004 की उस घटना का जिक्र करते हुए बताया कि 20 साल पहले मऊ और आसपास के सभी इलाकों में मुख्तार अंसारी के आतंक और दहशत का आलम चरम पर था। एक न्युज एजेंसी को दिए बयान में उन्होंने बताया, '20 साल पहले जब दंगों के कारण मऊ जिले में कर्फ्य लगा हुआ था, तब मुख्तार अंसारी अपने गुर्गों के साथ खुली जीप में घूम रहा था। जीप के अंदर वह लाइट मशीनगन भी लहरा रहा था। तब मैंने उसे मशीनगन के साथ गिरफ्तार कर लिया था और उस पर पोटा (प्रीवेंशन ऑफ टेररिज्म एक्ट) भी लगाया था।' वे आगे कहते हैं, 'तब तत्कालीम सीएम मुलायम सिंह यादव किसी भी तरह मुख्तार अंसारी को बचाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों पर खूब दबाव भी बनाया। यहां तक कि आईडी, डीाईजी और एसटीएफ, एसपी तक का ट्रांसफर कर दिया गया था और मुझे भी 10 दिनों के भीतर अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर किया गया था।'

इस्तीफे में बताया कारण

पूर्व डीएसपी ने आगे बताया कि उन्होंने तब अपने इस्तीफे में इसकी चर्चा भी की थी। शैलेंद्र ने कहा, 'अपने त्याग पत्र में मैंने इस्तीफा देन का कारण भी स्पष्ट किया था और लोगों के सामने यह बात रखी थी कि ये वही सरकार है जिसे आपने चुना है, लेकिन वह माफियाओं को संरक्षण दे रही है और उनके दिए आदेश पर काम कर रही है।' शैलेंद्र ने अपने इस्तीफे में यह भी साफ किया था कि वे माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को गिरफ्तार कर केवल अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।

मुख्तार के एलमजी खरीदने का किया पर्दाफाश

उस दौरान शैलेंद्र सिंह यूपी एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी के रूप में तैनात थे। शैलेंद्र वही व्यक्ति थे, जिन्होंने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का पर्दाफाश किया था। शैलेंद्रे ने जब मुख्तार से एलएमजी बरामद की तो खूब हंगामा मच गया था। उस समय भी शैलेंद्र को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। मुख्तार का पर्दाफाश करने के कुछ दिन बाद ही शैलेंद्र सिंह के खिलाफ डीएम ऑफिस के एक कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में उन्हें जेल में डाल दिया गया।

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