वो पांच बड़ी वजह, जिनके चलते अखिलेश यादव नहीं चाहते कि हाथ से फिसल जाए पापा की सीट, पत्नी डिंपल यादव को सौंप दी बड़ी जिम्मेदारी

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव-2022 वो पांच बड़ी वजह, जिनके चलते अखिलेश यादव नहीं चाहते कि हाथ से फिसल जाए पापा की सीट, पत्नी डिंपल यादव को सौंप दी बड़ी जिम्मेदारी

Anupam Tiwari
Update: 2022-11-10 12:06 GMT
वो पांच बड़ी वजह, जिनके चलते अखिलेश यादव नहीं चाहते कि हाथ से फिसल जाए पापा की सीट, पत्नी डिंपल यादव को सौंप दी बड़ी जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में प्रत्येक लोकसभा या विधानसभा सीट पर होने वाले चुनाव का अपना अलग ही महत्व होता है। लेकिन इस बार लोकसभा मैनपुरी सीट पर होने वाला उपचुनाव काफी रोमांचक होगा। यह सीट हाल ही में समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की निधन के बाद खाली हुई थी। समाजवादी पार्टी ने आज इस सीट पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी व मुलायम सिंह की बहु डिंपल यादव को उतारने का ऐलान किया है। जिसके बाद से यूपी की सियासत में गरमी बढ़ गई है।

2019 लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव कन्नौज सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन बीजेपी नेता सुब्रत पाठक से हार गईं थीं। पहले कयास लगाया जा रहा था कि इस सीट पर सपा तेज प्रताप यादव, धर्मेंद यादव या फिर चाचा शिवपाल को उतारा जा सकता है लेकिन डिंपल के नाम की घोषणा होने के बाद से सभी अटकलों पर विराम लग गया है। वैसे लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि सपा ने कन्नौज उपचुनाव में डिंपल पर भरोसा क्यों जताया? तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह

1- मुलायम की सियासी विरासत अपने पास रखेंगे अखिलेश 

अखिलेश के फैसले से स्पष्ट है कि वह मुलायम की राजनीतिक विरासत को अपने पास रखना चाहते हैं। डिंपल यादव को मुलायम सिंह की सीट पर उपचुनाव में उतारकर अखिलेश ने बड़ा मैसेज दिया है। अखिलेश को मुलायम की विरासत में किसी की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं है। चाहे भाई हो, भतीजा हो या फिर चाचा ही क्यों न हों? मुलायम के निधन के बाद अखिलेश ने इतना बड़ा फैसला पहली बार लिया है। 

2- सुरक्षित सीट पर लड़ेंगी डिंपल चुनाव 

44 साल की डिंपल 5वीं बार चुनाव लड़ेंगी। मैनपुरी सपा की पारिवारिक सीट है। 1996 में यहां मुलायम सिंह ने पहली बार चुनाव लड़ा था। तब से इस सीट पर सपा का कब्जा है और उन्हीं के परिवार से कोई न कोई इस सीट पर लोकसभा सदस्य रहा है। अखिलेश को सुरक्षित सीट की भी तलाश थी और मैनपुरी सीट सपा का गढ़ माना जाता है। अखिलेश कुछ दिन से यही चाह रहे थे कि पत्नी डिंपल को लोकसभा में उतारा जाए। चर्चा ये भी थी कि डिंपल को राज्यसभा भी भेजा जा सकता है लेकिन अब सभी अटकलों पर विराम लग चुका है। मैनपुरी सुरक्षित सीट से डिंपल यादव को सपा का उम्मीदवार बनाया जा चुका है। 

3- बहु के खिलाफ नहीं जा सकते शिवपाल

मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी सीट खाली हो गई थी। जिसके बाद से माना जा रहा था कि अखिलेश चाचा शिवपाल को यहां से चुनाव लड़ा सकते है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गौरतलब है कि मुलायम सिंह के निधन के बाद उनके कर्मकांड के दौरान चाचा-भतीजे के करीब से देखा गया था। जहां अखिलेश मौजूद रहते थे, शिवपाल की वहां उपस्थिति रहती थी लेकिन मैनपुरी सीट से डिंपल यादव के चुनाव लड़ने की खबर के बाद सारी अटकलें धरी की धरी रह गईं। ऐसे में ये माना जा रहा कि शिवपाल यादव बहु डिंपल के खिलाफ चुनाव में ताल नहीं ठोक सकते हैं क्योंकि अखिलेश यादव का यह एक ट्रंप कार्ड माना जा रहा है। 

4- परिवार में भाई व भतीजे की बीच गतिरोध होगा खत्म

मैनपुरी सीट से भाई व भतीजे के बीच कथित तौर पर दावेदारी पेश की जा रही थी। इस सीट पर धर्मेंद यादव व भतीजे तेज प्रताप यादव भी चुनाव लड़ना चाहते थे। ऐसे में पारिवारिक कहल से दूरी बनाने के लिए अखिलेश ने बड़ा दांव खेला और पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी सीट उपचुनाव में सपा उम्मीदवार बनाया है।

5- डिंपल की लोकप्रियता का मिलेगा फायदा

डिंपल यादव की कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी खासी लोकप्रियता है। वे भले ही वर्ष 2019 में कन्नौज से लोकसभा चुनाव में मात खाईं हों, लेकिन पार्टी के चुनाव प्रचार में हमेशा हिस्सा लेती रही हैं। कई चुनावी कार्यक्रम में कार्यकर्ता केवल डिंपल को सुनने के लिए आते है। इतना ही नहीं डिंपल को चुनाव प्रबंधन को लेकर भी अच्छी समझ है। अखिलेश इसी वजह से हर चुनाव में डिंपल को आगे रखते हैं। मुलायम परिवार से मौजूदा वक्त में लोकसभा में कोई भी सदस्य नहीं बचा है, ऐसे में अखिलेश के पास एक बड़ी वजह ये भी थी कि मुलायम की सियासी विरासत पर किसी बाहरी को टिकट नहीं देना चाहते थे। यही कारण है कि अखिलेश यादव ने मैनपुरी से डिंपल यादव को लोकसभा भेजने का फैसला लिया है।      


 

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