हर कदम पर उद्धव ठाकरे का साथ देने वाले शरद पवार से दोस्ती टूटने की कगार पर! एक बयान ने बढ़ाई उद्धव ठाकरे की मुश्किलें!

खतरे में दोस्ती! हर कदम पर उद्धव ठाकरे का साथ देने वाले शरद पवार से दोस्ती टूटने की कगार पर! एक बयान ने बढ़ाई उद्धव ठाकरे की मुश्किलें!

Raja Verma
Update: 2022-06-23 13:43 GMT
हाईलाइट
  • राऊत के बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति  में फिर से आग में घी ड़ालने वाला काम किया है।

डिजिटल डेस्क,मुंबई राजा वर्मा।   महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है यहां की राजनीति में एक के बाद एक नया मोड़ आ रहा है। इन सभी की वजह है एकनाथ शिंदे। वही एकनाथ शिंदे जो कभी शिवसेना के सबसे खास सिपाही माने जाते थे। पार्टी में उद्धव ठाकरे के बाद शिंदे ही प्रमुख चेहरा थे। शायद उनका पार्टी में बढ़ते कद को देखकर ही पार्टी ने सांसद संजय राऊत को उनकी जगह दे दी। वहीं एकनाथ शिंदे पार्टी से बगावत कर 42 विधायकों को अपने साथ लेकर गुवाहाटी पर मौजूद हैं। कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम उद्धव ठाकरे अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर कोई न कोई उपाय निकालने के लिए अपनी योजना तैयार कर रहे होंगे। लेकिन हाल ही में सासंद संजय राऊत के बयान के बाद से कई सवाल खड़े हो गए है। राऊत ने कहा कि अगर सभी बागी विधायक 24 घंटे में मुंबई आकर हमसे बात करते हैं तो शिवसेना महाविकास अघाड़ी से नाता तोड़ सकती है। शिवसेना की ओर से आये इस बयान के बाद से ही कई तरह सवाल खड़े हो गए है। 

टूट सकती है पवार और उद्धव की दोस्ती
महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव के रिजल्ट आने के बाद बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी रही शिवसेना को बहुमत मिला लेकिन दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बात नहीं बन पायी। लेकिन शिवसेना का जो सपना था कि महाराष्ट्र उनकी पार्टी का ही सीएम हो उसको पूरा करने का काम एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने किया। शरद पवार ने शिवसेना को सहयोग देने के लिए अपनी पार्टी के साथ ही कांग्रेस पार्टी को भी मनाने का काम किया। इस गठबंधन को महाविकास अघाड़ी नाम दिया गया। इस गठबंधन में दो अलग- अलग विचारधारा की पार्टियां एक साथ आई थीं।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को सीएम बनाया गया। इसके प्रमुख रणनीतिकार थे शरद पवार।  वही शरद पवार जो शिवसेना के विरोधी माने जाते थे। परन्तु सरकार बनने के बाद सीएम उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच दोस्ती बढ़ती चली गई। लेकिन आज शिवसेना के सासंद संजय राऊत ने महाविकास अघाड़ी को छोड़ने वाली बात कही है। इसके बाद से ही शरद पवार और उद्धव ठाकरे की दोस्ती पर सवाल उठने लगे हैं कि इस बयान से पवार ही नहीं बल्कि  कांग्रेस पार्टी भी नाराज हो सकती है। भले ही कोई भी सहयोगी पार्टी सामने आकर शिवसेना के खिलाफ नहीं बोल रही लेकिन इस बयान के बाद अन्दरखाने कुछ न कुछ खिचड़ी तो जरूर  पक रही होगी।

हालांकि शरद पवार कह रहे है कि वह उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने तक उनके साथ बने हुए है। लेकिन राऊत के बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति  में फिर से आग में घी ड़ालने वाला काम किया है। जिसमें उनकी पार्टी ही सबसे ज्यादा झुलस रही है।  
 

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