मोदी के भाषण से पहले, 15 मिनट में बात कहने की कला पर नजर (आईएएनएस विशेष)

मोदी के भाषण से पहले, 15 मिनट में बात कहने की कला पर नजर (आईएएनएस विशेष)

IANS News
Update: 2020-09-25 06:31 GMT
मोदी के भाषण से पहले, 15 मिनट में बात कहने की कला पर नजर (आईएएनएस विशेष)
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  • मोदी के भाषण से पहले
  • 15 मिनट में बात कहने की कला पर नजर (आईएएनएस विशेष)

संयुक्त राष्ट्र, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा की जनरल डिबेट में 26 सितंबर को भारत के संबोधन से पहले सबकी नजर इस साल न्यूयॉर्क के विशाल मंच पर कोरोना काल के बीच वैश्विक नेताओं की मंौजूदगी के बिना पहले से रिकॉर्ड किए गए 15 मिनट के भाषण पर होगी और उनके बोलने की कला चर्चा में रहेगी। यह ऐसे समय में हो रहा है जब पूरी दुनिया बेसब्री से कोविड-19 वैक्सीन का इंतजार कर रही है।
दो दिनों में, 200 से अधिक वैश्विक नेताओं के भाषण यूएनजीए प्रोडक्शन कंट्रोल हेडक्वार्टर से पहले ही दिखाए जा चुके हैं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार 26 सितंबर के पहले स्पीकर हैं। सत्र का आगाज सुबह 9 बजे ईस्टर्न स्टैंडर्ड टाइम (भारतीय समयानुसार शाम 6.30 बजे) से होगा।

यूएनजीए में शारीरिक रूप से मौजूदगी के दौरान कुछ नेता वहां मौजूद लोगों की भावनाओं और मनोदशा को समझते हुए उन्हें प्रभावित करना बखूबी जानते हैं, जबकि कुछ ऐसा नहीं कर पाते। कुछ ऐसा ही यूएनजीए के इस साल के वर्चुअल अभिभाषण में होगा। यह स्पष्ट नहीं है कि मानवीय दुनिया फिलहाल जिस तकलीफ से जूझ रही है, इस पर यूएनजीए में भाषणों से फर्क पड़ेगा या नहीं। क्वारंटीन कल्चर की अधिक गहन समझ रखने वाले नेता यूएन संबोधन में इस महामारी के प्रति एक नया नजरिया दिखा रहे हैं। वे इसके प्रति थोड़ा उदासीन हैं।

इस सप्ताह की शुरुआत में, मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को पुराने ढांचे और विश्वसनीयता के संकट को लेकर आईना दिखाया था। भारत का इस संबंध में संदेश स्पष्ट था कि 75 साल होने पर भी संयुक्त राष्ट्र का क्रिया-कलाप और ढांचा वैसा ही है जैसे यह 1940 के दशक के मध्य में था, जिसमें सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों में अभी भी पांच सदस्यों को ही रखा गया है, जबकि भारत भी इसका हकदार है।

सोमवार को, मोदी ने चार मिनट से कम समय लिया और प्री-रिकॉर्डेड भाषण में इतने कम समय में ही वो सबकुछ कह डाला जो वो कहना चाहते थे।

वैश्विक नेता जो वीडियो कॉल के आदि हो चुके है वो प्री-रिकॉर्डेड भाषण में अपनी वाकपटुता दिखाने की जुगत में लगे हैं।

इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो यूएनजीए जनरल डिबेट के पहले दिन के पहले वक्ताओं में से रहे उन्होंने महज 10 मिनट और 45 सेकंड का समय लिया। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले साल 48 मिनट और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 50 मिनट से अधिक समय तक भाषण दिया था।

इस वर्ष, महामारी ने नेताओं को कम समय में अपनी बात कहने के लिए तैयार कर दिया है। इनके लिए 15 मिनट की समय सीमा निर्धारित की गई है।

पिछले साल मोदी ने 17 मिनट का भाषण दिया था। उनका भाषण भारतीयों के बुनियादी ढांचे तक पहुंच और देश के स्वच्छता अभियान, पांच सालों में 11 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराने आदि पर केंद्रित था।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र के 75वें वर्षगांठ के मंच को वैश्विक संवाद के रूप में पेश करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। वहीं, लोग स्क्रीन पर वैश्विक महामारी को लेकर नेताओं को एक-दूसरे पर निशाना साधते और आपस में समन्वयता की कमी को देख रहे हैं।

150 से अधिक देश कोवैक्स का हिस्सा हैं, जिसमें अमीर देश संभावित टीकों में निवेश करने और गरीब देशों के लिए वित्तीय पहुंच में मदद करने के लिए सहमत हैं। लेकिन अमेरिका, चीन और रूस जिनके पास वीटो करने का अधिकार है, इस प्रयास में शामिल नहीं हैं, जो दर्शाता है कि 75 साल होने पर भी कैसे यूएन वैश्विक एकजुटता को कायम रखने से दूर है।

गुटेरेस ने पूरी दुनिया में संक्रमण के 3 करोड़ मामले होने का जिक्र करते हुए कहा था, जैसा कि देश अलग-अलग दिशा में जा रहे हैं, वायरस हर दिशा में जा रहा है।

वीएवी-एसकेपी

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