जातीय जनगणना को लेकर भाजपा ने बदली रणनीति

बिहार जातीय जनगणना को लेकर भाजपा ने बदली रणनीति

IANS News
Update: 2022-05-24 13:31 GMT
जातीय जनगणना को लेकर भाजपा ने बदली रणनीति

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत गर्म है। सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर अपनी रणनीति के तहत फूंक फूंक कर आगे बढ़ रही है। इस बीच, भाजपा के नेताओं के बयानों से साफ लग रहा है कि भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

बताया जाता है कि सभी दल भाजपा को इस मुद्दे को लेकर न केवल घेर रहे थे, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजदीकियां भी राजद के नेता तेजस्वी यादव से बढ़ती नजर आ रही हैं।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा कभी नहीं चाहती है कि नीतीश किसी बहाने को लेकर राजद के नजदीक जाए। उल्लेखनीय है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना को लेकर पहले ही बता चुकी है कि जातीय जनगणना देश में करना फिलहाल संभव नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार अपने स्तर से जातीय जनगणना करा सकती है।

इसके बाद बिहार में सभी दल इस मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरते नजर आए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को इस मामले को लेकर बुलाई जाने वाली सर्वदलीय बैठक के संबंध में बताया कि सभी दलों की सहमति नहीं मिल पाई है।

इधर, भाजपा ने भी अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है। राज्यसभा सांसद और भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी कहते है कि भाजपा कभी जातीय जनगणना के विरुद्ध नहीं रही, इसलिए इस मुद्दे पर बिहार विधानसभा और विधान परिषद से दो बार पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव में भाजपा भी शामिल रही।

जब इस मांग को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गया, तब उसमें बिहार से वरिष्ठ मंत्री जनक राम और झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी शामिल हुए।

केंद्र सरकार ने सबकी राय पर सम्मानपूर्वक विचार करने के बाद व्यावहारिक कारणों से जातीय जनगणना कराने में असमर्थता प्रकट की है।

इधर, भाजपा के प्रवक्ता और भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. निखिल आनंद कहते हैं कि हम जाति जनगणना के सीधे तौर पर या सख्ती से विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन समय सीमा, जटिलताएं और तैयारी भी महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने यहां तक कहा कि जाति जनगणना की मांग करने वाले सभी दलों को पहले कांग्रेस से पूछना चाहिए कि उन्होंने आजादी के बाद से ओबीसी समाज के साथ विश्वासघात क्यों किया है और 2011 की जाति जनगणना के अवसर को बर्बाद कर घोटाला क्यों किया?

बहरहाल, सभी दल जातीय जनगणना को लेकर अपने अपने सियासी दांव चल रहे हैं, अब देखने वाली बात है कि आखिर यह जनगणना बिहार में हो पाती भी है या नहीं।

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