बीएसपी में कोई दम नहीं, वो मरे हुए हाथी के समान- बीजेपी प्रवक्ता

यूपी चुनाव पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू बीएसपी में कोई दम नहीं, वो मरे हुए हाथी के समान- बीजेपी प्रवक्ता

Anupam Tiwari
Update: 2021-09-23 14:53 GMT
बीएसपी में कोई दम नहीं, वो मरे हुए हाथी के समान- बीजेपी प्रवक्ता

डिजिटल डेस्क, लखनऊ।  उत्तरप्रदेश में बीएसपी ने चुनावी बिसात जमाना शुरू कर दी है।  पहले प्रबुद्ध सम्मेलन और अब `बीएसपी युवा संवाद` के जरिए बीएसपी युवाओं में भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। बीएसपी की इस चुनावी मुहिम का बीजेपी पर कितना असर पड़ेगा। यूपी की सियासत से जुड़े ऐसे तमाम मुद्दों पर भास्कर हिंदी संवाददाता अनुपम तिवारी ने यूपी के बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी से की खास बातचीत- 

भास्कर हिंदी-   बीएसपी हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है, पहले प्रबुद्ध वर्ग और अब युवा वर्ग. इसका बीजेपी पर कितना प्रभाव पड़ेगा।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता- बहुजन समाज पार्टी ने हमेशा जाति आधारित राजनीति की है, उसी समीकरण को साधकर टिकट देने का काम किया है। उसके बाद बहुजन समाज पार्टी की कार्य संस्कृति बिगड़ी और दलित वोटो की संख्या के आधार पर नोट गिनने का काम शुरू कर दिया। अब बहुजन समाजवादी पार्टी चाहे प्रबुद्ध वर्ग कार्यक्रम करे या युवा वर्ग उससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। बसपा के लिए वोटो का कैलकुलेशन नोटों के लिए होता है, यही कारण है कि अब बहुजन समाज पार्टी का ग्राफ हर चुनाव में गिरता जा रहा है।

भास्कर हिंदी-  युवा संवाद कार्यक्रम के जरिए बीएसपी के कुछ युवा चेहरे भी चुनावी मैदान में नजर आने लगे हैं। जिनमें से एक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र के बेटे कपिल मिश्रा हैं। क्या ऐसे  एनर्जेटिक और पढ़े लिखे युवा बीएसपी की राजनीति के प्रोमिसिंग चेहरे नजर नहीं आते।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता- ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी नेता का पुत्र होना ही जब युवा नेता बनने की पहचान बन जाता है, तब राजनीतिक का पतन शुरू हो जाता है। स्वाभाविक रूप से नेता वही है जो छात्र राजनीति से निकलकर आया हो या फिर तमाम सामाजिक मुद्दों को उठाकर कोई युवा जिसका कोई राजनीति बैकग्राऊंड ना हो, वहां से कोई  नेता बनता है तो लीडरशिप विकसित होती है और उसे युवा नेतृत्व कहना चाहिए। ये काफी दुखद है कि नेता का पुत्र होने के नाते उसे युवा नेता कहा जाए। बीएसपी में ऐसे युवा नेता अब देखने को मिल रहे हैं।

भास्कर हिंदी-  ऐसे ही बीएसपी युवा संवाद कार्यक्रमों में सतीश चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा ने बीजेपी पर आरोप भी लगाए हैं कि यूपी की योगी सरकार में युवा ज्यादा परेशान हैं।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता-  बहुजन समाज पार्टी को आरोप निराधार है, बीजेपी सरकार यूपी में तीन लाख करोड़ से ज्यादा यूपी में निवेश लाई है। जब यूपी में निवेश बढ़ेगा, कानून व्यवस्था, सड़के व इंफ्रास्ट्रक्टर अच्छा होगा तो निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश में उद्योग धंधे बढ़ेगें और रोजगार के सृजन की संभावनाएं बढ़ेंगी। बहुजन समाज पार्टी के शासन काल में भ्रष्ट्राचार चरम पर था, इसलिए चाहे विदेशी निवेश हो या घरेलू निवेश यूपी के लिए असंभव सा हो गया था। बसपा यूपी को भगवान भरोसे छोड़ दी थी, 17 चीनी मिलों को मायावती ने अपने शासनकाल में बेचने का निर्णय लिया था। इससे स्पष्ट हो जाता है कि बहुजन समाजवादी पार्टी की पॉलिसी हमेशा युवाओं के खिलाफ ही रही है। 

भास्कर हिंदी-   युवाओं के मोर्चे पर मिश्रा के बेटे हैं तो पत्नी ने यूपी में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध पर योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। क्या ऐसा नहीं लगता कि मायावती एक तीर से तीन निशाने लगा रही हैं मिश्रा के बहाने ब्राह्मण वोटर्स को रिझा रही हैं। उनके बेटे युवाओं को और पत्नी महिला वोटर्स को साधने में जुट गई हैं।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता-  बहुजन समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य एक-एक कर पार्टी को छोड़कर कर चले गये हैं। अब केवल सतीश चंद्र मिश्रा जी ही अकेले बीएसपी में बचे हैं इसलिए वो अब उस पूरे परिवार को मोर्चे पर लगा दिया है। अब सतीश चंद्र मिश्रा की पत्नी व बेटे मिलकर नाव खेने का काम कर रहे हैं, लेकिन नाव के खेवनहार बन नहीं पायेंगे। वास्तव में बीएसपी पार्टी का जनता के बीच में जनाधार खत्म हो गया है। जो जनाधार वाले नेता थे, चाहे रामअचल राजभर हो या फिर नसिमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, स्वामी प्रसाद मौर्या व बृजेश पाठक समेत तमाम ऐसे नेता बीएसपी छोड़कर चले गये। अब बहुजन समाज पार्टी मरे हुए हाथी के समान है, उसके पास कोई दम नहीं बचा है।

भास्कर हिंदी-  जिस तरह से बीएसपी चुनावी मैदान में वापसी की कोशिशों में जुट गई है क्या आपको लगता है कि आने वाला चुनाव बीजेपी बनाम सपा ही न हो कर बीजेपी बनाम सपा बनाम बसपा हो जाएगा।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता-  भारतीय जनता पार्टी इस युद्ध से बाहर है, सपा व बसपा में ही युद्ध है। बीजेपी ने तीन सौ से ज्यादा सीटों पर तैयारी कर रखी है और मुझे पूरा भरोसा है कि हम आगामी विधानसभा चुनाव में  तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतकर आ रहे हैं। ये  प्रतिद्वंद्विता सपा और बसपा में है कि कौन 50 सीटों का आंकड़ा छू पायेगा?  मुझे विश्वास है कि इन दोनों पार्टियों के लिए 50 का आंकड़ा छूना बड़ी बात है, ये पार्टियां 50 का आंकड़ा तक नहीं छू पायेंगी।

भास्कर हिंदी- अगर सपा और बसपा पूरी मजबूती से मैदान में उतरती हैं तो इसका बीजेपी को कितना फायदा या नुकसान हो सकता है और इनके खिलाफ क्या रणनीति होगी।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता- हर पार्टी की अपनी चुनावी रणनीति होती है। भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में इस समय 2.5 करोड़ सदस्य है। हमने इस समय एसएमएस सदस्यता अभियान शुरू किया है, प्रयास यही हैं कि 1.5 करोड़ सदस्य और बनाएं। पिछली बार यूपी में बीजेपी को 3 करोड़ 60 लाख वोट मिले थे, हमारा प्रयास है कि 4 करोड़ सदस्य भारतीय जनता पार्टी के होंगे तो हम यूपी में लगभग पांच करोड़ वोट हासिल करके यूपी में ऐसी ताकत बन जायेंगे कि कोई भी पार्टी किसी भी रणनीति के साथ लड़े तो भारतीय जनता पार्टी को पराजित करना असंभव हो जायेगा।

भास्कर हिंदी- सतीश चंद्र मिश्रा की पत्नी का आरोप है कि बीजेपी सरकार में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।

राकेश त्रिपाठी, बीजेपी प्रवक्ता- सांप्रदायिक दंगे जिनके शासनकाल में हुआ करते थे, आज जब वो कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं तो बहुत ही हास्यास्पद है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद यूपी में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। जहां कहीं भी कानून व्यवस्था के मसले आए हैं वहां ठोस कार्रवाई हुई है। अपराधियोंं को अपने बगल बैठाकर अतुल राय को लोकसभा का टिकट देकर अगर बहुजन समाज पार्टी ये बात कहती है तो बहुत हंसी आती है। अतुल राय पर बलात्कार का आरोप रहा है और पीड़िता को खुद अपनी जान दे देनी पड़ी हो तो समझा जा सकता है कि बीएसपी पार्टी कितनी साफसुथरी पार्टी है।

 

 

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