काकोरी को कांड कहना इतिहासकारों की भूल, पर नए 'कांड' की लंबी लिस्ट यूपी चुनाव में बीजेपी का काम तमाम न कर दे!

'कांड' से कैसे बचेंगे योगी? काकोरी को कांड कहना इतिहासकारों की भूल, पर नए 'कांड' की लंबी लिस्ट यूपी चुनाव में बीजेपी का काम तमाम न कर दे!

ANAND VANI
Update: 2021-10-11 10:29 GMT
काकोरी को कांड कहना इतिहासकारों की भूल, पर नए 'कांड' की लंबी लिस्ट यूपी चुनाव में बीजेपी का काम तमाम न कर दे!

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में "आजादी अमृत महोत्सव" मना रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने "चौरी चौरा महोत्सव" कार्यक्रम के तहत "काकोरी ट्रेन एक्शन" की 97वीं वर्षगांठ मनाई। जिसमें राज्य सरकार ने "काकोरी कांड" का नाम बदलकर "काकोरी ट्रेन एक्शन डे" कर दिया है। इस पर उनका कहना था कि तत्कालीन इतिहासकारों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी इस महत्वपूर्ण घटना के नाम में "कांड" जोड़ दिया था, जो अपमान की भावना को दर्शाता था, इसलिए अब योगी सरकार ने काकोरी की घटना को ट्रेन एक्शन करार दिया और कांड शब्द को हमेशा के लिए मिटा दिया। लेकिन क्या अब उत्तरप्रदेश से कांड शब्द हट गया है? ये सवाल इसलिए क्योंकि कांडो की फेहरिस्त में अब भी राज्य टॉप पर है। 
वैसे योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को जब सत्ता संभालते ही शपथ ली, कि गुंडे और माफिया प्रदेश छोड़ दें या फिर अपराध करना छोड़ दें वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें। हालांकि योगी सरकार ने इसकी शुरुआत सड़क छाप मजनुओं के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड बनाकर की थी। सरकार ने महिला संबंधी अपराध पर गंभीरता दिखाते हुए की गई इस शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही योगी सरकार में शातिर लुटेरों-डकैतों के खिलाफ एनकाउंटर का दौर शुरू हुआ और सफेदपोश हो चुके माफियाओं के घरों पर जेसीबी बुलडोजर चलने लगे। इस दौरान दंगाइयों और बलवाइयों से निपटने के लिए और नुकसान की भरपाई के लिए कानून भी लाया गया, तो वहीं भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए कार्रवाई भी हुई। लेकिन इन तमाम दावों और कोशिशों के बावजूद प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसने खाकी को शर्मसार किया, पुलिस को दागदार बनाया और सरकार  की किरकिरी की। 

ब्राह्मण हत्याकांड और योगी का विरोध (2017)
26 जून को रायबरेली के ऊंचाहार थाना क्षेत्र स्थित अपटा गांव में आपसी विवाद को लेकर भीड़ ने पांच लोगों की हत्या कर दी थी। उनमें से कई को जला भी दिया गया था। इस घटना पर उत्तरप्रदेश के डिप्टी सीएम स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था , ""जो मारे गए वो किराए के गुंडे थे। मारे गए गुंडों को शहीद बताया जा रहा है, इसको लेकर विपक्ष राजनीति कर रहा है, उन्होंने इसे ब्राह्मणों की हत्या नहीं ,अपराधियों की हत्या बताया।" इस हत्याकांड के बाद ब्राह्मण संगठनों ने योगी सरकार का मुखर विरोध करना शुरू कर दिया था। 

2107 उन्नाव माखी कांड में दुष्कर्म का आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर और उसके गुर्गो ने पीड़िता और उसके पूरे परिवार को परेशान किया पीटा और अंत में जान ले ली। पूरे देश में सुर्खिया में छाया रहे इस केस ने सबको विचलित कर दिया। 
उन्नाव को असोहा कांड 
प्रेमी के प्यार को ठुकराने पर लड़के ने खेत में ले जाकर तीन लड़कियों को पानी में मिलाकर जहर दे दिया जिसमें दो लड़कियों की मौके पर ही मौत हो गई।

 

2019 सोनभद्र का खूनी संघर्ष उम्भा कांड,जिसमें गई थी 11 लोगों की जान
17 जुलाई 2019 को सोनभद्र जिले का एक गुमनाम गांव उभ्भा उस समय एकदम पूरे देश में सुर्खियों में छा गया, जब एक सोसाइटी की जमीन पर कब्जे को लेकर दबंगों ने गोली मारकर 11 आदिवासियों की हत्या कर दी थी। वहीं करीब 30 लोग घायल हुए।  इस कांड में चली गोलियों की तड़तड़ाहट पूरे देश में सुनाई दी थी। आरोपी ग्राम प्रधान यज्ञदत्त औऱ उसके 300 समर्थकों ने आदर्श सोसाइटी के गोंड़ आदिवासी सदस्यों पर लाठी, डंडे, फावड़ों के साथ ताबड़तोड़ फ़ायरिंग की। इस कांड में सबसे पहले 18 जुलाई को कांग्रेस विधानमंडल दल के तत्कालीन नेता अजय कुमार लल्लू घटना स्थल पर पहुंचे थे। कांड के बाद राज्य सरकार ने पीड़ित गांव के विकास के लिए तमाम परियोजनाओं का पिटारा खोल दिया और कई योजनाओं की झड़ी लगा दी थी।  
साल 2017 में उत्तर प्रदेश की जब सत्ता बदली, तो लगा नए निजाम के आते ही सूबे की पुलिस का चाल, चरित्र और चेहरा बदल जाएगा। कुर्सी पर बैठते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस महकमे पर काम करना शुरू कर दिया। राज्य में अपराध और अपराधियों को खत्म करने के नाम पर पुलिस को खुली छूट दे दी गई। अपनी "ठोको नीति" के तहत पुलिस मुठभेड़ पर मुठभेड़ करने लगी। पुलिस को सरकारी ताकत क्या मिली खाकी को अहंकार आ गया। अधिकार के साथ आए अहंकार में चूर पुलिस ने आम आदमी पर जुल्म करना शुरू कर दिया। फर्जी मुठभेड़ किए जाने लगे। उत्तरप्रदेश में शुरू हुए एनकाउंटर की नीति ने सरकार और पुलिस की किरकिरी खूब कराई।  खाकी कहीं अपराधियों से निपटने के लिए गोली चलाने के बजाय मुंह से ठांय ठांय करती नजर आई । तो कई बार अपराधियों को अधकचरी प्लानिंग से ललकारने पर 8 पुलिस वालों की जान लेने वाला बिकरू कांड जैसा काला दिन भी देखा गया। 

राजधानी लखनऊ में मैनेजर कांड (2019)
लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर विस्तार में यूपी पुलिस के सिपाही प्रशांत चौधरी ने मल्टीनेशनल कंपनी के मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरने वाले विवेक तिवारी ऐपल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट पर थे। पुलिस ने विवेक को उस समय गोली मारी जब वे अपनी सहकर्मी को रात में ड्रॉप करने जा रहे थे।
2020 हाथरस कांड -14 सितंबर की खौफनाक वारदात और पुलिस की करतूत
14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव में एक दलित युवती के साथ दरिंदगी की गई थी और उसे जान से मारने की कोशिश हुई थी। इलाज के दौरान युवती ने 29 सितंबर 2020 को दम तोड़ दिया था।  

कानपुर का बिकरू कांड(2020)
कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम की, अपराधी के साथ झड़प होने पर आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इस कांड ने पुलिस के भ्रष्टाचार और उसकी क्रूरता को उजागर कर दिया था। 

रोहनिया का कुरहुआ कांड(अप्रैल 2021) 
रोहनिया के अखरी निवासी एनडी तिवारी पांच अप्रैल की रात शूलटंकेश्वर मंदिर से पूजा कर लौट रहे थे। इसी दौरान शातिर शूटरों ने उन पर फायरिंग कर की जिसमें प्रॉपर्टी डीलर की मौत हो गई। 

2021 मनीष मर्डर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोली पुलिस की पोल
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता को पुलिस ने पीटकर मार डाला। मनीष की मौत को पहले संदिग्ध माना जा रहा था लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पिटाई के खुलासे ने पुलिस की पोल खोल कर रख दी।  इस मामले में 3 पुलिसवालों समेत 6 लोगों पर एफआईआर हुई है,और कई पुलिसवाले सस्पेंड हुए।

एटा का फर्जी मुठभेड़ (फरवरी 2021) 

एटा में फर्जी मुठभेड़ का हैरतअंगेज मामला सामने आया जिसमें होटल संचालक द्वारा पुलिस से खाने के रुपए मांगने पर पुलिसकर्मियों ने दिव्यांग ढाबा मालिक सहित स्टॉफ के 11 लोगों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस फर्जी पुलिस मुठभेड़ में उन पर शराब, गांजा तस्करी और अवैध हथियार का मामला दर्ज कर लिया और ‍‍जेल भेज दिया। इस मामले का पता तब चला जब जमानत कराकर दिव्यांग एग्जीक्यूटिव इंजीनियरिंग ढाबा मालिक जेल से बाहर निकला। और उसने लगातार उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की। इस फर्जी मुठभेड़ ने पुलिस महकमे को शर्मसार कर दिया।

पुलिस का पलिया कांड,  पुलिस की करतूत से खाकी हुई शर्मिंदा(2021)
आजमगढ़। सगड़ी तहसील के पलिया कांड में पुलिस की करतूत से पूरा प्रशासनिक अमला बैकफुट पर आ गया था। पुलिस ने अनुसूचित वर्ग के लोगों के घर में घुसकर मारपीट और तोड़फोड की, यहां तक की पुलिस ने कई घरों को जेसीबी से तोड़वा दिया था। गांव की महिलाओं ने गांव में ही धरना शुरू कर दिया था। अनुसूचित समाज के लोगों पर हुए अन्याय की सूचना मिलते ही विभिन्न राजनैतिक दल सक्रिय हो गए। कई राजनैतिक दलों ने धरने को समर्थन भी दिया।

लखीमपुर कांड महिला के कपड़े फाड़ने से लेकर मंत्री की किसानों को धमकी औऱ गाड़ी से कुचलना 

2021 लखीमपुर में बीजेपी नेताओं के लोकतंत्र क्षीरहरण से लेकर किसानों के कुचलने तक की घटना देखने को मिली। जिसने मानवता को ही झकझोर दिया। 

पूर्व से पश्चिम तक पूरे उत्तरप्रदेश में पसरा शराब कांड
उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत के कई खुलासे हुए लेकिन सरकार हमेशा सत्ता के नशे में मस्त बनी रही। मई 2021 में मित्तूपुर का शराब कांड आजमगढ़ में जहरीली शराब से 33 लोगों की मौत हो गई थी उसके बाद पुलिस जागी। ऐसा नहीं है कि राज्य में जहरीली शराब का इकलौता कांड हुआ हो, इससे पहले भी 25 मई 2018 को कानपुर में, 2019 में ही सहारनपुर शराब कांड में 55 लोगों की जान गई थी। उसी साल देवरिया में, जनवरी 2019 में फिर कानपुर में, 28 मई 2019 को बाराबंकी में जहरीली शराब कांड हो चुका है। नवंबर 2020 में लखनऊ में जहरीले शराब कांड से 6 लोगों की मौत

बुलंदशहर में हुई छह मौतें
नौ जनवरी 2021 को बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद क्षेत्र स्थित जीतगढ़ी गांव में जहरीली शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गई। और 20 से अधिक लोग बीमार पड़ गए
अलीगढ़ शराब कांड से 35 लोगों की मौत (28 मई 2021)
अलीगढ़ में जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला एक हफ्ते तक चला। हालांकि पुलिस ने सिर्फ 35 मौत शराब पीने से मानी। जबकि 105 से ज्यादा शवों का इस दौरान पोस्टमार्टम हुआ।
प्रयागराज शराब कांड, 14 की मौत
प्रयागराज में 17 मार्च 2021 को जहरीली शराब पीकर 14 लोगों की मौत हो गई
अंबेडकरनगर में शराब ने  मचाई  तबाही, 5 लोगों की मौत
10 मई 2021 को यूपी के अंबेडकरनगर में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत हुई।
बदायूं का शराब कांड
एक अप्रैल 2021 को यूपी के बदायूं में शराब ने तीन लोगों की जान ले ली।
चित्रकूट में शराब कांड
मार्च 2021 में यूपी के चित्रकूट में जहरीली शराब ने 7 लोगों की जान ली।
हाथरस में शराब कांड 
अप्रैल 2021 में यूपी के हाथरस में जहरीली शराब ने 5 लोगों की जान गई।
प्रतापगढ़ में अप्रैल 2021 में जहरीली शराब कांड में 7 लोगो की मौत।
आगरा का जहरीला शराब कांड 10 लोगों की मौत
नंवबर 2020 से लेकर अभी तक पिछले 9 माह में 11 बड़े शराब कांड उत्तर प्रदेश में हुए। जिनमें करीब 176 लोगों की मौत हो चुकी है।

औंधे मुंह गिरी सरकार की कानून व्यवस्था 
सरकार की ठांय ठांय नीति पर तब सवाल उठने लग जाते है जब सरकार अपने राजनीतिक हित साधने के चलते एक विशेष वर्ग को टारगेट करने लग जाती है। बेकसूरों पर खाकी बेवजह जुल्म करती है। तब सरकार की नीति व नीयत दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े होने लगते है । ऐसे में कानून व्यवस्था औंधे मुंह गिरी हुई दिखाई देती है। राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट की लताड़ इसी ओर इशारा करती है कि वहां कानून तंत्र में अनेक खामिया है। जिससे लोगों को कानून का डर नहीं है। तभी रेप हत्या डकैती लूट अपहरण जैसी घटना आम हो गई है। हैरान करने वाली बात ये है कि रेप की बढ़ती घटनाओं के साथ रेप पीड़िता को जलाकर मारने जैसी भयावह घटनाएं निरंतर बढ़ रही है। जो पूरे मानव समाज को झकझोर के रख देता है। और सरकार हमेशा की तरह कि यह कह कर खामोश हो जाती है कि क्राइम कंट्रोल में कर लिया गया है। जबकि पूरे देश में सबसे ज्यादा हत्या,लूट, अपहरण बलवा की घटनाएं यूपी में सबसे ज्यादा होती है। वहीं दुष्कर्म के मामले में दूसरे नंबर पर है। 

राजनीतिक विशेषज्ञों का मत

कांडों की इस लंबी फेहरिस्त के बीच घिरी योगी सरकार को क्या इसका खामियाजा आने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा? इस मामले पर भास्कर हिंदी संवाददाता आनंद जोनवार ने यूपी की राजनीति पर गहरी जानकारी रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विकास सिंह से बात की। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कठोर नीति और सुशासन की नीति रही है। हालांकि किसी भी हादसे को कांड का रूप दे दिया जाता है। अभी हाल ही में घटित लखीमपुर की घटना पर विपक्ष बवाल मचा रहा है। विपक्ष का काम होता है, किसी भी हादसे को कांड के तौर पर देखा जाए। योगी सरकार के अब तक के कार्यकाल में हुए कई कांडों का अगले साल होने वाले चुनाव पर पड़ने वाले असर पर वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि इनका चुनाव पर ज्यादा असर पड़ते हुए नहीं दिखेगा, इसके पीछे की वजह योगी सरकार की कठोर कानून नीति और सुशासन होना हैं। वरिष्ठ पत्रकार का मानना है, पिछली सालों के मुकाबले अपराधों में कमी आई है।  

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