पुलिस अफसर की आमद से दिलचस्प हुई कन्नौज की जंग, अफसर की दबंगई के आगे क्या फीकी पड़ेगी सपा प्रत्याशी की उम्मीदें?

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 पुलिस अफसर की आमद से दिलचस्प हुई कन्नौज की जंग, अफसर की दबंगई के आगे क्या फीकी पड़ेगी सपा प्रत्याशी की उम्मीदें?

Anupam Tiwari
Update: 2022-02-16 13:07 GMT
पुलिस अफसर की आमद से दिलचस्प हुई कन्नौज की जंग, अफसर की दबंगई के आगे क्या फीकी पड़ेगी सपा प्रत्याशी की उम्मीदें?

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान खत्म हो चुका है। तीसरे चरण का मतदान आगामी 20 फरवरी को होगा। यूपी की सियासत में इस बार हर दिन गरमी बढ़ती जा रही है। आरोप-प्रत्यारोप से लेकर लोकलुभावन चुनावी वादे देखने को मिल रहे हैं। तीसरे चरण के मतदान से पहले राजनीतिक दल चुनावी प्रचार में पूरी ताकत के साथ जुटे हैं। यूपी की सियासत में अबकी बार कन्नौज सदर सीट को लेकर काफी चर्चाएं हैं। बता दें कि यह सीट इसलिए भी चर्चित है क्योंकि पिछले बीस साल से सपा ने कब्जा जमा रखा है।

इस सीट पर साल 2002 से पहले यहां भाजपा के बनवारी लाल दोहरे काबिज थे। उन्होंने इस सीट पर लगातार तीन बार जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई थी। सपा से पहले यह सीट भाजपा का अभेद्य किला थी। साल 2002 में सपा के कल्याण सिंह दोहरे ने भाजपा से सीट छीनी थी। साल 2007 में सपा ने कल्याण सिंह की बजाय कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य मंत्री रहे बिहारीलाल दोहरे के पुत्र अनिल दोहरे को उतारा था, तब से उन्हीं का जलवा कायम था।

अब 2022 के चुनावी रण में सपा ने फिर अनिल पर भरोसा जताया है। अबकी बार भाजपा के टिकट पर कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे कन्नौज के मूल निवासी पूर्व आइपीएस असीम अरुण उन्हें टक्कर  दे रहे हैं। बसपा ने समरजीत दोहरे और कांग्रेस ने विनीता देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है। गौरतलब है कि कन्नौज सदर (सुरक्षित) सीट में अनुसूचित जाति व ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या काफी है। जो चुनाव में काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

ब्राह्मण मतदाताओं की भूमिका?

देश और दुनिया में इत्र नगरी के नाम से प्रसिद्ध कन्नौज में चुनावी महासमर में लोगों को बेहतर कल की तलाश है, ये यहां के मतदाताओं का कहना है। यूपी सियासत का पारा यहां पर हर दिन बढ़ रहा है। कन्नौज की धरती से सम्राट हर्षवर्धन, राजा जयचंद से लेकर बुंदेलखंड के महोबा के वीर आल्हा-ऊदल की यादें जुड़ी हैं। पराक्रम की कहानी कहते राजा जयचंद के किले के ध्वंशावशेष, गंगा तट पर बाबा गौरीशंकर, मां फूलमती देवी मंदिर लोगों को आकर्षित करते है।

यहां के लोगों का मानना है कि अबकी बार पूरी तरह से फिजा बदली-बदली सी लगती है। जानकारों के मुताबिक यहां पर करीब 23 फीसदी ब्राह्मण मतदाता जीत और हार के अंतर में निर्णायक भूमिका निभाते है। जिससे सभी राजनीतिक दल उन्हें रिझाने में लगे है। 

कन्नौज की जनता की राय

चुनाव को लेकर कन्नौज की जनता की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का कहना है कि जाति की बात हो रही है। दल भी जातीय समीकरण साध रहे। इस बार कुछ अलग होने वाला है। तो वहीं बहुत से लोगों का कहना है कि योगी सरकार के काम दिख रहे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा कानून-व्यवस्था है। पहले की सरकारों में चौराहे-चौराहे अराजकता चरम पर थी, अब पांच साल में कोई उपद्रवी नहीं दिखा।

वहां के युवाओं का कहना है कि गुंडागर्दी भले ही योगी सरकार में कम हुई है लेकिन बेरोजगारी बढ़ी है। हालांकि बहुत से स्थानीय लोगों का कहना है कि अराजकता और गुंडागर्दी बिल्कुल खत्म हो गई है, कोई भी सरकार पूरे बहुमत से आनी चाहिए। मतदाता इसको लेकर सजग हैं

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आईपीएस असीम अरूण देंगे टक्कर 

कन्नौज सदर सीट से सपा को टक्कर देने के लिए बीजेपी ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे कन्नौज के मूल निवासी पूर्व आईपीएस असीम अरुण पर भरोसा जताया है। बता दें कि हाल ही में बीआरएस लेकर असीम अरूण ने बीजेपी ज्वॉइन की थी। उसी समय से ये कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी के टिकट में असीम अरूण चुनवा लड़ सकते हैं। वर्दी छोड़कर सियासी अखाड़े में उतरे पूर्व आईपीएस अफसर असीम अरुण क्या इस सीट को भाजपा के खाते में ला पाने में कामयाब होते हैं कि नहीं।

असीम अरुण के पिता श्रीराम अरुण प्रदेश के डीजीपी रह चुके हैं। बहरहाल, उनके यहां से ताल ठोकने से यह सीट यूपी ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं विधायक अनिल दोहरे की बात करें तो उनके पिता बिहारी लाल दोहरे भी इस सीट से तीन बार जीत चुके हैं, पत्नी सुनीता दोहरे जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। अनिल दोहरे 2014 से 2017 तक एससी-एसटी कमेटी के चेयरमैन भी रहे। 

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