एमपी में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति, शिवराज को सम्मान, कांग्रेस के समर्थन वाले प्रदेश बंद का बुरा हाल

आरक्षण पर राजनीति एमपी में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति, शिवराज को सम्मान, कांग्रेस के समर्थन वाले प्रदेश बंद का बुरा हाल

Anchal Shridhar
Update: 2022-05-21 11:14 GMT
एमपी में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति, शिवराज को सम्मान, कांग्रेस के समर्थन वाले प्रदेश बंद का बुरा हाल

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश पंचायत एवं निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सूबे में राजनीति गरमा गई है। भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने तरीके से कोर्ट के फैसले का इस्तेमाल अपने पॉलीटिकल फायदे के लिए कर रहे हैं। एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में कांग्रेस समर्थित प्रदेश बंद जिसका आव्हान ओबीसी महासभा द्वारा आज यानि 21 मई को किया गया, खबरों के अनुसार वह पूरी तरह बेअसर रहा है। वहीं दूसरी तरफ फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए बीजेपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने सीएम शिवराज का सम्मान किया है। 

शिवराज का हुआ सम्मान, कांग्रेस के समर्थन वाला भारत बंद रहा बेअसर

ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी जीत बताते हुए बीजेपी के नेताओं ने इसका सारा श्रेय सीएम शिवराज को दिया। पार्टी के पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर उनका सम्मान किया। इस मौके पर प्रदेश पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा, पिछड़ा वर्ग आयोग गौरीशंकर बिसेन व नगरीय आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने शिवराज सिंह चौहान का स्वागत किया। 
वहीं, आबादी के हिसाब के अनुसार आरक्षण नहीं मिलने की वजह से ओबीसी महासभा ने 21 मई प्रदेश बंद का आव्हान किया। जिसे कांग्रेस द्वारा समर्थन दिया गया। ओबीसी महासभा के इस आव्हान का प्रदेश में ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा। रिपोर्ट्स के मुताबिक राजधानी भोपाल के साथ प्रदेश के अन्य स्थानों में बंद का असर ज्यादा नहीं दिखाई दिया। 

भाजपा ने किया ओबीसी का अपमान- कमलनाथ 

कमलनाथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा को घेरते हुए कहा कि, यह पिछड़ा वर्ग के साथ हुआ घोर अन्याय है। हमने ओबीसी को 27%  आरक्षण देने का कानून बनाया था। बीजेपी ने कोर्ट में रिपोर्ट सही तरीके से पेश नहीं की जिसका नुकसान ओबीसी को भोगना पड़ा।
 
कांग्रेस ओबीसी को आरक्षण देने के पक्ष में नहीं – सीएम शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज ने कांग्रेस के लगाए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि, कांग्रेस पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के पक्ष में नहीं है। वो इस वर्ग को बस वोट बैंक समझती है। उनके समर्थन से चलने वाली महाराष्ट्र सरकार ने बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव करा दिए और जल्द ही उधर निकाय चुनाव होने वाले हैं। अगर कांग्रेस ओबीसी का भला चाहती तो महाराष्ट्र में बिना आरक्षण के पंचायत चुनाव न हुए होते। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे, लेकिन आरक्षण का आंकड़ा किसी भी कीमत में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। 50 प्रतिशत में से प्रदेश में एससी को पहले से ही 16 प्रतिशत व एसटी को 20 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इस तरह इन दोनों को 36 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। बचा 14 प्रतिशत आरक्षण वो ओबीसी को मिलेगा।  

  


   
 

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