लोकसभा चुनाव 2024: एनडीए में शामिल दल बीजेपी की बढ़ा रहे है मुसीबत

  • अपना हित देख रहे नायडू
  • जेडीएस नेता रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल में उलझी भाजपा
  • टीडीपी कर रही है मुस्लिम आरक्षण की मांग

ANAND VANI
Update: 2024-05-06 12:36 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए में शामिल कुछ दल भारतीय जनता पार्टी का सिरदर्द बढ़ा रहे है। एक तरफ कर्नाटक में पार्टी बीजेपी , सहयोगी जद (एस) से जुड़े नेताओं प्रज्वल रेवन्ना और एचडी रेवन्ना के सेक्स स्कैंडल में उलझी है। दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में एनडीए में शामिल टीडीपी ने ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटे का समर्थन कर बीजेपी के सिरदर्द को और बढ़ा दिया है। इसे इस तौर पर देखा जा रहा है कि एक तरफ पीएम मोदी ओबीसी कोटे में मुस्लिम आरक्षण को ओबीसी के हकमारी की बात कर विपक्ष पर निशाना साध रहे है।

वहीं एनडीए की सहयोगी टीडीपी ओबीसी में मुस्लिम आरक्षण का समर्थन कर रही है। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता में आने पर मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। दरअसल, राज्य में मुस्लिम मतदाता 40 से 50 विधानसभा सीटों पर प्रभावी हैं। नायडू इस घोषणा के जरिये इस वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

आपको बता दें एनडीए में शामिल बीजेपी के सहयोगी दलों के नेता आरोप लगा रहे है कि आगामी चरणों के चुनाव प्रचार में सहयोगी दलों के नेताओं को पूछा नहीं जा रहा है। कहीं भी संयुक्त प्रचार की रणनीति नहीं है। उत्तरप्रदेश में चुनाव के पहले दो चरणों में एक बार आरएलडी प्रमुख जयंत संयुक्त जनसभा में दिखे, बिहार में इसी प्रकार सीएम नीतीश दो बार संयुक्त जनसभा में दिखे। 

आपको बता दें एनडीए में शामिल अधिकतर दल बीजेपी पर निर्भर होकर पीएम मोदी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की सभा अपनी पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन के कराने के इच्छुक है।इसमें बिहार में सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी शामिल है।यहां बीजेपी की रणनीति सहयोगियों  के सहारे राजद के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण से पार पाने की है। साल 2014 के संसदीय चुनाव में पार्टी ने लोजपा, कुशवाहा के साथ तो बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा, जदयू के साथ सफल सोशल इंजीनियरिंग का गणित अपनाया था। 

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