अवार्ड: बिहार के युवा सय्यद अमजद हुसैन को मिला "इमर्जिंग यूथ" अवार्ड

Pavan Malviya
Update: 2023-11-30 07:05 GMT

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के प्रमुख शहर पटना में आयोजित हुए 'समिट ऑफ इमर्जिंग यूथ एदारा–ए –शरिया' में, मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने एक मात्र बिहारी युवा सय्यद अमजद हुसैन को 'इमर्जिंग यूथ' अवार्ड से सम्मानित किया। इस समिट में पूर्व राज्य सभा सांसद गुलाम रसूल बल्यावी भी मुख्य अतिथि रहे हैं।

यह दो-दिवसीय समिट 25 और 26 नवंबर 2023 को हुआ और इसमें सय्यद अमजद हुसैन को बिहार का एकमात्र इमर्जिंग यूथ अवार्ड प्रदान किया गया। इस अवार्ड को देने वाले शुजात अली क़ादरी और पत्रकार प्रशांत टंडन थे। यह अवार्ड बिहार में मात्र सय्यद अमजद हुसैन को ही मिला है।

अमजद की आगामी किताब, जिसमें उन्होंने सूफीवाद और बिहार में सूफी इतिहास पर विचार किए हैं, उसे हौसला अफजाई का स्रोत माना जा रहा है। उन्होंने अहले सुन्नत जमात के लिए ऑनलाइन काम करने के लिए भी एक अवार्ड जीता है।

संगठन के चेयरमैन शुजात अली क़ादरी ने बताया, "अमजद ने हमें उन बिहारी सूफी संतों के बारे में बताया है जिनके बारे में हमने अब तक किसी से नहीं सुना। उन्होंने विकिपीडिया पर 130 से ज्यादा लेख लिखे हैं, जो केवल सूफी संतों के बारे में हैं।"

बिहार से पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बल्यावी ने यह साझा किया कि सय्यद अमजद हुसैन बिहार के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, उन्होंने जैसे किताब लिखने की सोची है वैसा आज के युवा सोचते भी नहीं। बिहार में सूफी संतों का इतिहास बहुत गहरा और पुराना है।

अमजद ने बताया कि बिहार में आज भी वैसे सूफी संत मौजूद हैं जो इमाम ताज फकीह के आज़म थे, और उनके खानदान के लोग आज भी मगध में रहा करते हैं। "हमें बिहार के सूफियों के बारे में लिखने का जुनून तब आया जब हमने माननीय नीतीश कुमार जी का सूफी संतों के प्रति प्यार और लगाओ देखा," उन्होंने कहा। "वह बिहार में सूफी सर्किट के नाम से एक इदारा बना कर सभी दरगाहों और खानकाह को एक साथ समेट दिया है।"

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