गैंगरेप केस : भोपाल पुलिस का पुराना मर्ज है FIR न करना, लापरवाही है बड़ा कारण

गैंगरेप केस : भोपाल पुलिस का पुराना मर्ज है FIR न करना, लापरवाही है बड़ा कारण

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-03 14:48 GMT
गैंगरेप केस : भोपाल पुलिस का पुराना मर्ज है FIR न करना, लापरवाही है बड़ा कारण

By Dharmendra Paigwar

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राजधानी में एक स्टूडेंट के साथ हुए गैंगरेप और इसके बाद पुलिस द्वारा एफआईआर न करने के मामले में पुलिस और सरकार की फजीहत हो गई है। भले ही अब सरकार ने अफसरों को हटा दिया हो, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर सरकार के उन दावों को झुठला दिया है जो सरकार करती रही है। मप्र के मंत्री और अफसर ये दावे करते रहे हैं कि यहां महिला अपराध इसलिए ज्यादा हैं कि हम हर घटना की एफआईआर दर्ज करते हैं। दरअसल भोपाल में महिलाओं से जुड़े अपराधों में पुलिस हर बार दबाव में काम करती है। यहां तक कि बलात्कार पीड़ित युवतियों से ये तक कहा जाता है कि यदि वे रिपोर्ट लिखाएंगी तो उनका भविष्य चौपट हो जाएगा। 

भोपाल में पिछले दिनों में हुई तीन घटनाएं साबित करती हैं कि यहां महिला अपराधों में पुलिस चेहरे देखकर काम करती रही है। 

 

उदाहरण 1 - राजधानी की मनोचिकित्सक डॉ रूमा भट्टाचार्य ने 14 अक्टूबर 2014 को टीटी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके साथ टीटी नगर जैसी भीड़ भरी जगह पर आईएएस अफसर डीपी आहूजा ने मारपीट की। लंबी जांच के बाद पुलिस ने एफआईआर तो की, लेकिन इस मामले में पुलिस ने आईएएस अफसर के खिलाफ चालान पेश करने के बजाए खात्मा लगा दिया। डॉ भट्टाचार्य इस मामले को लेकर अब राष्ट्रीय महिला आयोग में लड़ाई लड़ रही हैं। 

 

उदाहरण 2 - दूसरी घटना इस साल फरवरी की है। कोलार रोड पर किड्जी प्ले स्कूल में तीन साल की बच्ची के साथ स्कूल संचालक अनुतोष प्रताप सिंह ने बलात्कार की कोशिश की। बच्ची ने दर्द होने पर अपन मां को ये बात बताई। जब पेरेंट्स कोलार थाने पहुंचे तो तीन दिन तक उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। कारण थाने के प्रभारी गौरव बुंदेला की स्कूल संचालक से दोस्ती थी। फेसबुक पर उनके फोटो अपलोड थे। तीन दिन तक एफआईआर नहीं होने के बाद भी इस गंभीर मामले में बुंदेला को सस्पेंड करने के बजाए सिर्फ लाइन अटैच किया गया। कारण वे उस वक्त भोपाल में पदस्थ एक बड़े अफसर के नजदीकी रिश्तेदार थे। अब बुंदेला की पोस्टिंग भोपाल के एमपी नगर थाने में है। दुष्कर्म की शिकार हुई बच्ची का परिवार शहर छोड गया है। 

 

उदाहरण 3- राजधानी की एक छात्रा 2 सितंबर को महिला थाने पहुंची। उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसके बॉयफ्रेंड और उसके दोस्त ने उसकी अश्लील क्लीपिंग बनाकर उसे ब्लेकमेल किया और कई बार जबर्दस्ती रेप किया। उसे महिला थाने में समझाया गया कि यदि वह रेप की शिकायत करेगी तो उसे अदालत जाना पड़ेगा और उसका करियर चौपट हो जाएगा। फिर उसे कोलार थाने भेज दिया गया। रात साढे नौ बजे से रात दो बजे तक कोलार थाने में उसे बिठाए रखा गया। आखिर में मामूली छेडछाड़ की शिकायत दर्ज हुई। वहीं एक सिपाही ने भी युवती से छेड़खानी की। युवती घर पहुंची तो फिर मोबाइल फोन पर मैसेज भी सिपाही ने किया। आरोपियों के खिलाफ मामूली धारा में एफआईआर हुई थी, जमानत मिलते ही उन्होंने स्टूडेंट को फिर परेशान किया। अब वे इस स्टूडेंट को धमकियां भेज रहे हैं। पुलिस को उसकी शिकायतें कर रहे हैं। स्टूडेंट ने आईजी योगेश चौधरी को घटना की पूरी शिकायत की है। उसने मानव अधिकार आयोग में रेप की शिकायत की तो कोलार पुलिस ने अपने बचाव में स्टूडेंट से लिखवा लिया कि वह खुद ही एफआईआर नहीं करना चाहती। 

 

ये तीन उदाहरण बताते हैं कि भोपाल पुलिस महिलाओं से जुड़े अपराधों को लेकर कितनी गंभीर है। हाल ही में यूपीएससी स्टूडेंट के साथ हुए गैंगरेप मामले में डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला कहते हैं कि गैंगरेप की घटना दुखद है। इस मामले में जिन भी अफसरों की शुरूआती गलती पाई गई है वे हटा दिए गए हैं। जांच जारी है, डीआईजी सुधीर लाड के नेतत्व में एसआईटी गठित कर दी गई है। इस तरह के मामलों में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच के दायरे में वे सब अफसर भी शामिल हैं, जिन्हें निचले कर्मचारी रिपोर्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज करने को लेकर समय समय पर निर्देश दिए जाते हैं।

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