कंगना रनौत के कार्यालय में बीएमसी की तोड़क कार्रवाई थी अवैध

कंगना रनौत के कार्यालय में बीएमसी की तोड़क कार्रवाई थी अवैध

Anita Peddulwar
Update: 2020-11-27 14:02 GMT
कंगना रनौत के कार्यालय में बीएमसी की तोड़क कार्रवाई थी अवैध
हाईलाइट
  • मुआवजा का दावा सही
  • रनौत को ट्विटर पर संयम बरतने की हिदायत भी 
  • हाईकोर्ट ने कहा कि यह नागरिकों के खिलाफ बाहुबल के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकते

डिजिटल डेस्क, मुंबई । बांबे हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले में बने कार्यालय  के खिलाफ मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की तोड़क कार्रवाई को अवैध मानते हुए इसे गलत इरादों की झलक बताया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि मनपा की कार्रवाई गलत आधार पर की गई है। जो नागरिकों के अधिकारो के खिलाफ है। हम नागरिकों के खिलाफ बाहुबल का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दे सकते है।अदालत ने रनौत के मुआवजे के दावे को भी सही माना है। इसके साथ ही कोर्ट ने रनौत को ट्विट करते समय संयम बरतने की भी हिदायत दी है।  

शुक्रवार को न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि हम नागरिकों के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल को मंजूरी नहीं देते। रनौत का मामला मुआवजा प्रदान करने के लिए भी पूरी तरह से उपयुक्त है। खंडपीठ ने मनपा की तोड़क कार्रवाई से बंगले को हुए नुकसान का जायजा व मूल्यांकन करने के लिए निजी फर्म को नियुक्त किया है। खंडपीठ ने निजी फर्म को मार्च 2021 तक मुआवजे को लेकर आदेश जारी करने का निर्देश दिया है। 

फैसले में खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि हम किसी भी नागरिक के किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण का समर्थन नहीं करते हैं। फैसले में खंडपीठ ने कहा कि हम सरकार व फिल्म इंडस्ट्री को लेकर की गई किसी भी ओछी बयानबाजी का भी समर्थन नहीं करते। खंडपीठ ने प्रकरण को रनौत की ओर से किए गए ट्वीट को भी सही नहीं माना है और रनौत को निर्देश दिया है कि सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी करते समय संयम बरतें।

बीएमसी ने कंगना के ऑफिस में की थी तोड़फोड़
खंडपीठ ने यह फैसला रनौत की ओर से मनपा की ओर से 9 सितंबर 2020 को पाली हिल इलाके में स्थित बंगले पर की गई तोड़क कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है। याचिका में रनौत ने मनपा की कार्रवाई को अवैध बताया था और दो करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की थी। मनपा ने रनौत के सभी आरोपों का खंडन किया था। 

लोगों की टिप्पणी को नजरअंदाज करे सरकार
सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार को नागरिकों को ओर से की जाने वाली टिप्पणी को नजरअंदाज करना चाहिए। यदि उसे कार्रवाई करनी ही है तो वह कानून के दायरे व कानूनी व्यवस्था के अनरूप होनी चाहिए। सरकार को किसी भी तरह अपनी ताकत दिखाने में संलिप्त नहीं होना चाहिए। 

उल्टी पड़ी राऊत की बयानबाजी  
खंडपीठ ने कहा कि बंगले की तोड़क कार्रवाई के बाद साइट की तस्वीरे, शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा शिवसेना के मुखपत्र "सामना’ के संपादकीय में की गई टिप्पणी और मनपा का रुख दर्शाता है कि मनपा की कार्रवाई कानून के खिलाफ है और गलत इरादे की झलत प्रस्तुत करती है। खंडपीठ ने कहा कि मनपा ने बंगले के जिस ढांचे को गिराया है वह पहले से था वह निर्माणाधीन अवैध निर्माण नहीं था। खंडपीठ ने मनपा की धारा 354 के तहत की कार्रवाई को नियमो के विपरीत माना है। खंडपीठ ने रनौत को मनपा की मंजूरी के तहत अपने घर को रहने लायक बनाने की भी अनुमति दी है और मनपा की नोटिस को खारिज कर दिया है।  
    
        

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