लॉकडाउन में भी खरबूजे एवं टमाटर की खेती की आमदनी ने साथ नहीं छोड़ा (सफलता की कहानी) लॉकडाउन में भी खरबूजा एवं टमाटर से कर रहे हैं कमाई!

लॉकडाउन में भी खरबूजे एवं टमाटर की खेती की आमदनी ने साथ नहीं छोड़ा (सफलता की कहानी) लॉकडाउन में भी खरबूजा एवं टमाटर से कर रहे हैं कमाई!

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-05-05 09:48 GMT

डिजिटल डेस्क | अनुपपुर अपने गुणों और बेहतरीन स्वाद के लिए प्रसिद्ध मौसमी फल खरबूजा इस समय कोरोना विपदा काल के चलते देश में जारी लॉकडाउन के दौरान काश्तकारों के लिए मानो सोने का फल साबित हो रहा है। खरबूजे की पैदावार में मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला भी अब पीछे नहीं है। अनूपपुर जिले में इस फल की पैदावार की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रफल को खरबूजा पैदावार के अंतर्गत लाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसी तरह काश्तकार टमाटर की पैदावार से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं। जिले के कोतमा जनपद अंचल के लालपुर गांव के 32 वर्षीय मनोज कुमार साहू ने करीब 4 साल पहले बेकार पड़ी अपनी 1 एकड़ जमीन में कस्तूरी एवं गुरु नामक खरबूजे की दो प्रजातियों एवं 1 एकड़ जमीन में साहो, रक्षक हाईब्रिड नामक टमाटर की दो प्रजातियों की खेती से काश्तकारी की शुरुआत की।

पहली बार की फसल ही तीन लाख रूपये की गई। पहले नौकरी के लिए लगातार कोषिषें करने और फिर अतिथि शिक्षक के पारिश्रमिक से किसी तरह गुजारा करने वाले मनोज के पास कहने को बस 2 हेक्टेयर जमीन थी, जिसको अच्छी कमाई की लालसा में दुरुस्त कर उसमें उन्होंने खरबूजे और टमाटर उगाना शुरू किए। इन दोनों फसलों ने मनोज का जीवन ही बदल दिया। पहले साल ही ली गई फसलों ने उन्हें लखपति बना दिया। इनकी कमाई से उत्साहित होकर उन्होंने इनकी फसलों को उगाना जारी रखा। महज 4 साल पहले तक वे एक मामूली सी नौकरी किया करते थे।

उसी दौरान उद्यान विभाग के मैदानी अमले ने उन्हें खरबूजा एवं टमाटर की खेती करने के लिए प्रेरित किया और उन्हें न केवल तकनीकी मार्गदर्शन दिया, बल्कि भरपूर उत्पादन लेने के उद्येष्य से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत ड्रिप सिंचाई पद्धति, संरक्षित खेती के अंतर्गत मलचिंग शीट, उद्यानिकी यंत्रीकरण के अंतर्गत बढ़ावा देने हेतु पावर टिलर, पावर वीडर और पावर स्प्रे पंप भी उपलब्ध कराए। फिर क्या था, इस मदद से मनोज ने दोनों भरपूर फसलें उर्गाइं। खरबूजे की एक फसल डेढ़ लाख रूपये और टमाटर की एक फसल दो लाख रूपये देती है।

इन उद्यानिकी फसलों ने आज मनोज का जीवनस्तर बदल दिया है। खास बात यह है कि मनोज ने इतने अल्प समय में ही अपनी फसलों की कमाई से मकान बनवा लिया और एक मोटरसाइकिल खरीद ली। डीजल पंप एवं विद्युत पंप भी खरीद लिया। लॉकडाउन से उत्पन्न व्यापार एवं रोजगार की अनिष्चितता दौरान भी आज ये दोनों फसलें मनोज के लिए वरदान बनी हुई हैं और वह आज भी इनसे से भरपूर कमाई कर अपनी आजीविका चला रहे हैं।

मनोज अपनी फसलों की कमाई से इतने उत्साहित हैं कि चहकते हुए बघेली में बताते हैं, ‘‘उद्यनिकी फसलन से उनखर परिवार के हालात बदली गए है। अब उनखे लांघे पैसा रुपिया के कौनाओ कमी नहीं आय। लॉकड़ाऊन नो मा फसल बेंची के आछि कमाई होई रही है।‘‘ उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक व्ही.डी. नायर ने बताया कि जिले में काश्तकारों की माली हालत सुधारने के लिए काश्तकारों को अनुदान बतौर संसाधन उपलब्ध कराकर उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे काश्तकारों की आमदनी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कोरोना काल के चलते लॉकडाउन के दौरान भी उन्हें अच्छी कमाई हो रही है।

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