ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम संपन्न|

अंतर्राष्ट्रीय दिवस ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम संपन्न|

Aditya Upadhyaya
Update: 2021-10-20 09:24 GMT
ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम संपन्न|

डिजिटल डेस्क | मण्डला 18अक्टूबर 2021 को ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम के अवसर पर मंडला में आयोजित कार्यक्रम “महिलाएं एवं हमारी पारंपरिक खाद्य प्रणाली” जिसमें महाकौशल क्षेत्र के विभिन्न जगह, जैसे समनापुर, मोहगांव, बिछिया, निवास, बैहर, नारायणगंज से महिलाएं शामिल हुई। कार्यक्रम के दौराम नाबार्ड के मंडला जिले के डीडीएम अखिलेश वर्मा उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में महिलाओं ने अपने पारंपरिक खान-पान के बारे में ज्ञान विनिमय करने के उद्देश्य से अलग अलग प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे कोदो, कुटकी, कंद, भाजी, अन्य से बनाए हुए वस्तुएँ की प्रदर्शनी लगाया। इसके उपरांत, अलग-अलग क्षेत्रों से आई महिला प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे और एक गतिविधि के माध्यम से देशी धान एवं पारंपरिक खान-पान के महत्व को समझा और साझा किया। इसके साथ ही “अपना खान-पान, अपना सम्मान” नामक जन अभियान की शुरुआत किया जिसमें महिलाओं ने प्रण लिया की वे अपने पारंपरिक खान-पान को बढ़ावा देंगी और अपने-अपने गाँव और क्षेत्र में और भी लोगों तक यह संदेश पहुंचाकर उनको भी प्रेरित करेंगी।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस हर साल 15 अक्टूबर को कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा में सुधार और ग्रामीण गरीबी उन्मूलन में स्वदेशी महिलाओं सहित ग्रामीण महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को पहचानने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ’प्रतिकूल परिस्थितियों से सम्भालना की क्षमता का निर्माण करती ग्रामीण महिलाएँ, लड़कियाँ’ है। महाकौशल क्षेत्र में जो कि एक अधिकांश आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में से एक है, ग्रामीण महिलाओं की लघु वनोपज (एन.टी.एफ.पी) के संग्रह पर निर्भरता और उसमें भूमिका, विशेष रूप से अकृषित खाद्य पदार्थ, समुदाय के (प्रतिकूल परिस्थितियों से सम्भालने की क्षमता) के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

इन खाद्य पदार्थों का एक छोटा सा हिस्सा घर की आर्थिक सुरक्षा में योगदान देता है, लेकिन उनमें से अधिकांश परिवार की खाद्य और पोषण सुरक्षा में योगदान करते हैं, जिसमें महिलाएं संसाधन उपयोग की इस प्रणाली में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। वे न केवल फलों, कंादों और अन्य लघु वनोपज के प्राथमिक संग्राहक हैं, बल्कि इन संसाधनों के महत्वपूर्ण ज्ञान धारक और संरक्षक भी हैं।

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