आशीष देशमुख के इस्तीफे के बाद ‘काटोल’ पर ‘भावी गठबंधन’ को लेकर बढ़ीं मुश्किलें

आशीष देशमुख के इस्तीफे के बाद ‘काटोल’ पर ‘भावी गठबंधन’ को लेकर बढ़ीं मुश्किलें

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-03 07:20 GMT
आशीष देशमुख के इस्तीफे के बाद ‘काटोल’ पर ‘भावी गठबंधन’ को लेकर बढ़ीं मुश्किलें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधायक आशीष देशमुख ने महात्मा गांधी जयंती पर अपने पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होने के संकेत दिए हैं। उनके इस्तीफे से काटोल विधानसभा सीट खाली हो गई है। हालांकि इस्तीफा अभी मंजूर नहीं हुआ है। इस्तीफा मंजूर होने के बाद यह सीट रिक्त होगी।

 नियमानुसार कोई भी सीट छह महीने से अधिक समय तक खाली नहीं रह सकती। विधानसभा चुनाव को करीब अब एक साल बचा है। ऐसे में काटोल विधानसभा के चुनाव अगले 6 महीने में कराना अनिवार्य होगा। जिला निर्वाचन विभाग से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अगर इस्तीफा मंजूर होता है तो अगले 6 महीने के अंदर चुनाव होना अनिवार्य है। हालांकि यह चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वह कब चुनाव कराता है। 

फार्मूले पर अब नजर
काटोल में रिक्त हुई सीट से  कांग्रेस और राकांपा के भावी गठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। काटोल सीट पर पहले से राकांपा का दावा रहा है। अगर गठबंधन होता है तो राकांपा इस सीट पर दावा करेगी। वहीं सीटिंग एमएलए के तौर पर आशीष देशमुख अपना दावा जताकर स्वयं या अपने किसी करीब को काटोल से उतारने की सिफारिश कर सकते हैं। ऐसे में गठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगर पुराने फार्मूले पर गठबंधन चलता है तो आशीष देशमुख को यह सीट छोड़नी पड़ सकती है। भंडारा-गोंदिया का लोकसभा उपचुनाव इसका बड़ा उदाहरण है।

नाना पटोले लोकसभा सदस्य पद और भाजपा से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए। इस्तीफेे के बाद वहां उपचुनाव हुए, लेकिन कांग्रेस-राकांपा के पुराने गठबंधन फार्मूले के तहत यह सीट राकांपा कोटे में गई। नाना पटोले को मन मानकर शांत बैठना पड़ा। प्रफुल पटेल ने खुद न खड़े होकर मधुकर कुकड़े को मैदान में उतारा।  यही स्थिति काटोल में भी निर्माण होने की संभावना है। ऐसे में भावी गठबंधन को देखते हुए कांग्रेस और राकांपा दोनों के नेता इस विषय पर बोलने से बच रहे हैं। दोनों पार्टी के नेताओं का कहना है कि समय आने पर इसका निर्णय लिया जाएगा। 

समय पर इसका निर्णय होगा 
अभी यह तय नहीं है कि उपचुनाव होंगे या नहीं? अगर होता है, तो समय पर इसका निर्णय लिया जाएगा। विधानसभा चुनाव को एक साल बचा है। ऐसे में काटोल की जनता को बीच में छोड़कर आशीष देशमुख को भागना नहीं चाहिए था। लोगों को भी अब अपनी गलती का अहसास हो रहा है। विदर्भ में शायद ही किसी विधायक ने जनता को बीच में छोड़कर इस्तीफा दिया है। क्षेत्र में अनेक समस्याएं हैं। किसानों के लिए न तो आशीष देशमुख ने काम किया और न ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने।  (अनिल देशमुख, पूर्व मंत्री व राकांपा नेता )

गठबंधन इस पर निर्णय लेगा 
पहले देखना होगा कि काटोल में उपचुनाव होंगे या नहीं? उसके बाद इस पर कुछ बात होगी। इतने जल्दी चुनाव होंगे, ऐसा नहीं लगता है। फिलहाल कांग्रेस-राकांपा में गठबंधन की प्रक्रिया शुरू है। गठबंधन के समय इस पर चर्चा की जाएगी।- (राजेंद्र मुलक, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस) 

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